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Bilaspur News: अब महिलाएं भी रक्तदान करने में नहीं हैं पीछे, समय पर बचा रहीं जान

तिफरा यदुनंदन नगर निवासी रोमा साहू 18 बार रक्तदान कर चुकी हैं। यह जान कर हैरानी होगी कि उनका ब्लड ग्रुप रेयर बी निगेटिव है। उनका का कहना है कि अक्सर देखने को मिलता है कि रेयर ग्रुप के रक्त की व्यवस्था करने के लिए लोग काफी परेशान होते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. ये महिलाएं एैसी है जो लगातार नियमित अंतराल में कर रही रक्तदान
  2. क्या कहते हैं महिला रक्तदाता
  3. रेयर ब्लड ग्रुप, और 18 बार रक्तदान

 बिलासपुर। जज्बा संस्था ने रक्तदान के लिए एैसा अलख जगाया है कि शहर की महिलाएं भी रक्तदान के लिए जागरूक हो गईं हैं। इसी का परिणाम है कि जब इन महिलाओं को पता चला कि शहर के ब्लड बैंक में खून की कमी है और जरूरतमंद लोगों को समय पर जीवन दायनी रक्त नहीं मिल पा रहा है, तो वे जज्बा के रक्तदान शिविर में स्वप्रेरित होकर पहुंची और देखते ही देखते 203 महिलाओं ने रक्तदान कर दिखा दिया। इन्हीं महिला रक्तदाताओं में कुछ ऐसी भी हैं, जो नियमित अंतराल में रक्तदान करतीं आ रही हैं और लोगों का बहुमूल्य जीवन बचा रही हैं।

क्या कहते हैं महिला रक्तदाता

– मिलता है सुकून

28 बार रक्तदान कर चुकी सिरगिट्टी निवासी मनमीत कौर का कहना है कि कई बार देखने को मिला है कि समय पर रक्त नहीं मिलने पर मरीज की जान चली जाती है। वे ऐसे मरीजों के स्वजन की पीड़ा को समझती हैं। इसलिए नियमित अंतराल में रक्तदान कर लोगों की जान बचाने की कोशिश करती हैं। इससे सुकून मिलता है। हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। ये आपके लिए भी और दूसरों के लिए भी अच्छा रहता है।

रेयर ब्लड ग्रुप, और 18 बार रक्तदान

तिफरा यदुनंदन नगर निवासी रोमा साहू 18 बार रक्तदान कर चुकी हैं। यह जान की हैरानी होगी कि उनका ब्लड ग्रुप रेयर बी निगेटिव है। उनका का कहना है कि अक्सर देखने को मिलता है कि रेयर ग्रुप के रक्त की व्यवस्था करने के लिए लोग काफी परेशान होते हैं। कई बार हालत ऐसी बनती है कि ब्लड नहीं मिल पाता। मेरा सौभाग्य है कि मेरा ब्लड रेयर है। ऐसे में जब किसी को रक्त की आवश्यकता होती है, तब मैं रक्तदान करती हूं। मैं रेयर ब्लड ग्रुप की महत्व को समझती हूं।

युवाओं को दे रहीं प्रेरणा

सीपत की रहने वाली जज्बा ग्रुप की सदस्य पूर्णिमा पाटनवार नई महिला रक्तदाता हैं। अभी तक वे नौ बार रक्तदान कर चुकी हैं। पूर्णिमा अब नियमित रक्तदान करते आ रही हैं और युवाओं को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। पूर्णिमा अपने साथ अपनी सहपाठियों, दोस्तों को भी रक्तदान की महत्ता बताने का काम करती हैं। ताकि समय पर हर किसी को ब्लड मिल सके।

मिलती है खुशी

मोपका निवासी व ख्वाब वेलफेयर फाउंडेशन की सक्रिय सदस्य ईशिता चक्रवर्ती भी 11 बार रक्तदान कर चुकी हैं। उनका कहना है कि रक्तदान करके मुझे खुशी मिलती है, क्योंकि इसके माध्यम से एक बहुमूल्य जीवन बचता है। रक्तदान महादान है और रक्तदान करना शरीर के लिए भी अच्छा रहता है। हर किसी को नियमित अंतराल में रक्तदान करते रहना चाहिए और लोगों को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

ये भी है रक्तदान के फायदे

    • हर तीन महीने में एक बार रक्तदान करना चाहिए। इससे शरीर में आयरन की मात्रा संतुलित होती है।
    • स्ट्रोक व हार्ट अटैक से भी बचाव होता है।
    • वजन घटाने में मदद मिलती है।
    • एक बार के रक्तदान से कम से कम तीन लोगों को नया जीवन मिलता है। इससे खुशी और मानसिक संतुष्टि मिलती है।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

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