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CG High Court : राजद्रोह का आरोप झेल रहे आइपीएस जीपी सिंह को मिली राहत

120 दिन रायपुर सेंट्रल जेल में रहे। बाहर आते ही पत्नी को गले लगाया, फौरन गाड़ी में बैठकर चले गए थे। 0 कोर्ट ने कहा था कि जीपी सिंह को रायपुर में रहने की अनुमति नहीं होगी। सिंह मीडिया से कोई बात नहीं करेंगे, केस के सिलसिले में कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे

HIGHLIGHTS

  1. भूपेश बघेल सरकार में दर्ज हुआ था मामला, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने प्रोसिडिंग पर लगाई रोक
  2. एसीबी ने भ्रष्टाचार, सरकार ने राजद्रोह का केस कराया था दर्ज
  3. पांच पेज का मिला दस्तावेज
 बिलासपुर । भूपेश बघेल सरकार में राजद्रोह का आरोप झेल रहे 1994 बैच के आइपीएस अफसर जीपी सिंह को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से राहत मिली है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जीपी सिंह पर लगाए गए राजद्रोह के प्रकरण की प्रोसिडिंग पर रोक लगा दी है। बीते 30 अप्रैल को छत्तीसगढ़ पुलिस के वरिष्ठ आइपीएस अफसर जीपी सिंह को कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) से राहत मिली थी।
मामले की सुनवाई के बाद कैट ने चार सप्ताह के भीतर जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल करने का आदेश दिया था। जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। उन पर आरोप लगाया गया था कि उनके सरकारी बंगले से कुछ चिट्ठियां, फटे हुए पन्ने और पेन ड्राइव मिली थीं। जांच में सरकार विरोधी गतिविधियों की बात सामने आई थी। इसी के आधार पर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई।

एफआइआर को चुनौती देते हुए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने षड्यंत्र के तहत झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया है। आइपीएस जीपी सिंह उस वक्त छत्तीसगढ़ पुलिस में पुलिस अकादमी का जिम्मा संभाल रहे थे। उससे पहले वे खुद एसीबी के चीफ रह चुके थे। उनके खिलाफ अवैध वसूली, ब्लैकमेलिंग के जरिए करोड़ों की संपत्ति बनाने की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद एसीबी ने जांच शुरू की थी।

यह भी आरोप लगाया गया था क जब जीपी सिंह एसीबी प्रमुख थे, तब भ्रष्ट अफसरों को कार्रवाई का डर दिखाकर उन्हें ब्लैकमेल किया और रुपये वसूले थे। इन मामलों में जीपी सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया गया था, जिसमें कुछ दिन पहले ही हाई कोर्ट ने राहत दी है और एफआइआर पर रोक लगाई है।

एसीबी ने भ्रष्टाचार, सरकार ने राजद्रोह का केस कराया था दर्ज

एसीबी ने जुलाई 2021 को जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले के अलावा राजनांदगांव और ओडिशा के 15 अन्य स्थानों पर छापा मारा था। इसमें 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ कई संवेदनशील दस्तावेज मिले थे। इसके बाद एसीबी ने जीपी सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। राज्य सरकार ने पांच जुलाई को उन्हें निलंबित कर दिया और आठ जुलाई की रात उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कराया था।

आरोप था कि जीपी सिंह सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे। नौ जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआइ जांच की मांग की थी। मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिल गई। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आइपीएस जीपी सिंह को भारत सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृति दे दी थी। तब जीपी सिंह की सेवा के आठ साल बचे थे।

पांच पेज का मिला दस्तावेज

एसीबी ने अपनी जांच में जो दस्तावेज हासिल किए थे, उसके बाद दावा किया गया है कि जानबूझकर सरकार के खिलाफ बातें लिखी गईं। इससे लोगों के मन में सरकार के प्रति नफरत पैदा हो और असंतोष का माहौल बने। अकेले जीपी सिंह के घर पर ही नहीं, बल्कि इनके दोस्त एसबीआइ के मैनेजर मणिभूषण के घर की तलाशी लेने पर भी पांच पेज का दस्तावेज मिला था। इसमें अंग्रेजी में विधायकों और छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के अलावा कुछ आइएएस अफसरों के खिलाफ भी बातें लिखी मिली थीं।

जीपी सिंह ने क्या कहा था

जब जीपी सिंह को कोर्ट में पेश किया गया था तब उन्होंने अपने ऊपर हो रही कार्रवाई को लेकर कहा था कि ये पालिटिकल विक्टमाइजेशन का केस है, मैं शुरू से कह रहा हूं। नागरिक आपूर्ति निगम की जांच कर रहा था, तब गवाहों को होस्टाइल करने कहा गया, इस मामले में पूर्व सीएम डा. रमन सिंह और उनकी पत्नी वीणा सिंह को फंसाने कहा गया। जांच में सहयोग नहीं करने के सवाल पर जीपी सिंह ने कहा था मैंने खुद कहा है, रिमांड जितनी चाहिए ले लो, और 15 दिन चाहते हैं तो ले लो। मुझ पर दर्ज एफआइआर गलत है, जो संपत्ति मेरे नाम बताई जा रही है वो मेरी नहीं हैं, उन्होंने तब कहा था कि ये पूरा केस फैब्रीकेटेड (रचा हुआ) है।

कब-कब क्या हुआ

एक जुलाई 2021 की सुबह छह बजे एसीबी व ईओडब्ल्यू की टीम ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था। जीपी सिंह पर एफआइआर दर्ज की गई। जांच के बाद पांच करोड़ की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ। 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढ़ने की आधिकारिक जानकारी दी गई।

0 रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपी की मदद का आरोप भी जीपी सिंह पर लगा। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही है।

0 पांच जुलाई को राज्य सरकार ने एडीजी जीपी सिंह को एक आदेश पत्र में यह लिखते हुए निलंबित कर दिया कि एक अफसर से ऐसी अपेक्षा नहीं थी। 0 जनवरी 2022 में उन्हें गुरुग्राम से पकड़कर रायपुर पुलिस छत्तीसगढ़ लेकर आई।

120 दिन रायपुर सेंट्रल जेल में रहे। बाहर आते ही पत्नी को गले लगाया, फौरन गाड़ी में बैठकर चले गए थे। 0 कोर्ट ने कहा था कि जीपी सिंह को रायपुर में रहने की अनुमति नहीं होगी। सिंह मीडिया से कोई बात नहीं करेंगे, केस के सिलसिले में कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे।

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