CG News: छग में मतांतरण का घातक एजेंडा, समाज के सभी वर्गों में आक्रोश, सरगुजा से लेकर बस्तर तक विवाद"/> CG News: छग में मतांतरण का घातक एजेंडा, समाज के सभी वर्गों में आक्रोश, सरगुजा से लेकर बस्तर तक विवाद"/>

CG News: छग में मतांतरण का घातक एजेंडा, समाज के सभी वर्गों में आक्रोश, सरगुजा से लेकर बस्तर तक विवाद

HIGHLIGHTS

  1. छग में मतांतरण का घातक एजेंडा, सरगुजा से लेकर बस्तर तक विवाद
  2. मतांतरण के खिलाफ समाज के सभी वर्गों में आक्रोश
  3. राजनीतिक पार्टियों का एक-दूसरे पर आरोप
 

रायपुर : छत्तीसगढ़ में मतांतरण के घातक एजेंडे की वर्तमान स्थिति का अंदाजा इन हालातों से लगाया जा सकता है कि मतांतरित व्यक्ति के कफन-दफन तक को लेकर विवादों का सामना करना पड़ रहा है। मतांतरण के मामले में बस्तर से लेकर जशपुर, सरगुजा तक विवाद है। मतांतरण के खिलाफ प्रदेश में सख्त कानून की अनुशंसा हो चुकी है। विधानसभा में भी यह मुद्दा उठ चुका है। समाज प्रमुखों और धार्मिक संगठनों ने भी मतांतरण पर खुलकर विरोध व्यक्त किया है। इन सबके बीच मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

बस्तर क्षेत्र के छिंदबाहर ग्राम पंचायत में मतांतरित व्यक्ति के अंतिम संस्कार का मामला कोर्ट के आदेश के बाद सुलझाया गया। भाजपा ने बीते विधानसभा सत्र के दौरान आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में मतांतरण के 3,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। भाजपा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति का एक हिस्सा तुष्टीकरण और मतांतरण में शामिल है।

मतांतरण के नए मसौदे पर काम

मतांतरण के विधेयक के मसौदे के मुताबिक, नाबालिग, महिलाओं, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से मतांतरण कराने वालों को कम से कम दो वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की जेल होगी। साथ ही न्यूनतम 25 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। वहीं, सामूहिक मतांतरण पर कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना लगेगा। कोर्ट मतांतरण के पीड़ित को पांच लाख रुपये तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकता है।

पूर्ववर्ती सरकार में 3,500 से अधिक मामले दर्ज

 

मतांतरण मामले में विधानसभा सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में धर्मस्व व संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया था कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मतांतरण की 3,500 से ज्यादा शिकायतें मिली। वहीं, 35 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। सरकार के द्वारा मतांतरण संबंधी विधेयक वर्ष 2023 के दिसंबर माह में शीतकालीन विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किया जाना था, लेकिन मसौदा तैयार नहीं होने के कारण उसे प्रस्तुत नहीं किया जा सका।

डी-लिस्टिंग में आरक्षण खत्म करने की मांग

 

जिन आदिवासियों ने ईसाई या अन्य धर्म को स्वीकार कर लिया है, उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर किया जाए। इस मांग से आदिवासी समुदाय में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भाजपा के कांकेर लोकसभा प्रत्याशी भोजराज नाग डी-लिस्टिंग अभियान में मतांतरित हुए लोगों का आरक्षण खत्म करने को लेकर कई रैलियां कर चुके हैं। बीते वर्ष राजधानी में आयोजित रैली में भी आदिवासी समाज के लोगों ने डी-लिस्टिंग की वकालत की थी।

ठोस कानून की हो रही मांग

 

अखिल भारतीय वर्षीय यादव महासभा के प्रदेश अध्यक्ष माधव लाल यादव कहते हैं कि मतांतरण के मुद्दे पर हम गंभीर है। हमारी मांग है कि सरकार को मतांतरण पर ठोस कानून बनाना चाहिए। समाज में जागरूकता से ही इस स्थिति को निपटा जा सकता है। सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ के प्रदेश उपाध्यक्ष राजाराम तोड़ेम का कहना है कि जशपुर, बस्तर, सरगुजा में मतांतरण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। मतांतरण से आदिवासी संस्कृति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। समाज को नुकसान हो रहा है। सरकार को भी सख्त कानून बनाना चाहिए।

भाजपा-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप

 

भाजपा के प्रवक्ता केदार गुप्ता का आरोप है कि कांग्रेस हमेशा तुष्टीकरण और मतांतरण को शह देती रही है। सुकमा के एसपी ने पूर्ववर्ती सरकार को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने मतांतरण को गंभीर समस्या बताते हुए ठोस कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन भूपेश बघेल की सरकार ने कुछ नहीं किया। मतांतरण का विरोध करने वालों को भूपेश बघेल ने रासुका लगातर जेल भेज दिया।

वहीं, प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धनंजय ठाकुर का आरोप है कि मतांतरण को मुद्दा बनाकर भाजपा लोगों का ध्यान भटकाना चाह रही है। कोर्ट के आदेश के बाद भी भाजपा ने 10 साल में मतांतरण पर कोई ठोस कानून नहीं बनाया। महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी पर ध्यान भटका कर भाजपा धर्म और जाति की राजनीति करती है। डा. रमन सिंह की सरकार ने मतांतरण को प्रदेश में प्रश्रय दिया।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button