CG News: कई जिलों में पाइपलाइन बिछ गई लेकिन नहीं पहुंचा पानी, पेयजल बना बड़ा मुद्दा"/>

CG News: कई जिलों में पाइपलाइन बिछ गई लेकिन नहीं पहुंचा पानी, पेयजल बना बड़ा मुद्दा

HIGHLIGHTS

  1. 50,00,307 घरों में नल से जल देने का लक्ष्य
  2. 39,04,023 घरों तक पहुंचा अब तक कनेक्शन
  3. 78.08 प्रतिशत पूरा हुआ मिशन

रायपुर। लोकसभा चुनाव में पेयजल बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। पिछले पांच वर्ष तक प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत धीमी गति से काम हुआ है। इसके लिए वर्तमान सरकार, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।

भाजपा आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार की योजनाओं को भूपेश के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने महत्व नहीं दिया। यही कारण है कि जल जीवन मिशन योजना में भी प्रदेश पिछड़ा हुआ है। बता दें कि केंद्र सरकार वर्तमान में 28 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है।

भाजपा शासित राज्यों में, गैर भाजपा शासित राज्यों की तुलना में तेज गति से काम हुआ है। छत्तीसगढ़ की बात करें तो दिसंबर 2022 में छत्तीसगढ़ 33वें पायदान पर था। प्रदेश में भाजपा की विष्णुदेव साय सरकार गठित होते ही इस योजना में तेजी लाई गई और अभी प्रदेश कई बड़े राज्यों की तुलना में 23वें नंबर पर आ गया है।

कुछ जगहों पर पेयजल के लिए पाइप तो बिछ गई है पर पानी की व्यवस्था नहीं है। दुर्ग के ग्राम मोहलई में तीन साल बाद भी पानी टंकी निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है। गांव की नई बस्ती में निवासरत दो सौ परिवार को गर्मी के दिनों में निस्तारी के लिए पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

ग्राम चंदखुरी और कोलिहापुरी में योजना के तहत घर-घर पानी पहुंचाने पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है, लेकिन सप्लाई के लिए पानी टंकी का निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है। योजना के तहत 143 गांवों में बोर के माध्यम से पानी सप्लाई की व्यवस्था बनाई गई है जबकि 238 गांवों में स्थल जल योजना के माध्यम से पानी सप्लाई किया जाना है।

हर दिन लगाए सात हजार से अधिक नल

जानकारी के अनुसार, जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना को विष्णुदेव साय सरकार में मिशन मोड पर लाया गया। हर दिन सात हजार से अधिक नल कनेक्शन देकर ग्रामीण इलाकों में पेयजल की स्थिति सुधारने के लिए काम हुआ है। एक साल में मिशन के तहत 1,084 ठेकेदारों को नोटिस जारी किया गया, 122 अनुबंध निरस्त किए। 110 अमानक स्तर की टंकियों को तोड़ा गया। 634 नल के चबूतरे टूटे और 9,234 अमानक पाइप को बदला गया है।

जब दोनों दल के प्रमुखों ने अपने हाथ खींच लिए

चुनाव और मीडिया मैनेजमेंट में चोली-दामन का साथ है, पर राज्य में पहले चरण में हुए चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दल का मैनेजमेंट तब बिगड़ गया, जब दोनों दल के प्रमुखों ने इस दायित्व से हाथ खींच लिए। एक दल ने बिल्कुल नए प्रत्याशी को उतारा था तो दूसरे जबरिया मैदान में उतारे गए थे।

मतलब बेटे के लिए दुल्हन मांगने गए थे, पर ‘ससुरे’ ने बाप को ही दुल्हन पकड़ा दी। हाल ही में विधानसभा चुनाव में लंबा चौड़ा खर्च करने के बाद प्रत्याशी चुनाव तो जीत गए, पर प्रदेश की जनता ने उनकी सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस पर नई सरकार बार-बार ईडी का भूत पीछे लगाने की धमकी दे रही थी। विधानसभा चुनाव में 400 बकरा कटवाने वाले प्रत्याशी ने मीडिया को घास भी डालने से मना कर दिया।

प्रदेश में अव्वल तीन जिले

जिले का नाम कुल घर नल कनेक्शन लगे कुल प्रतिशत

धमतरी 1,54,784 1,51,619 97.96

रायपुर 1,90,001 1,77,097 93.21

राजनांदगांव 1,56,789 1,38,714 88.47

प्रदेश के तीन सबसे पिछड़े जिले

जिले का नाम कुल घर नल कनेक्शन लगे कुल प्रतिशत

बलरामपुर 1,97,552 1,31,958 66.80

जशपुर 2,14,626 1,43,303 66.77

बीजापुर 56,298 31,849 56.57

इन राज्यों में शत-प्रतिशत हुआ काम

देश के गोवा, अंडमान निकोबार, दादर एवं नगर हवेली, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पंडिचेरी, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में शत-प्रतिशत घरों में नल से जल मिलने लगा है।

ये राज्य छत्तीसगढ़ से पीछे: आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, केरल, जम्मू कश्मीर, असम, मेघालय और कर्नाटक शामिल हैं।

जब मैं मंत्री बना था तब सात प्रतिशत ही नल से जल का कनेक्शन मिला था। दो साल तक कोरोना का लाकडाउन भी था, इसके बाद भी 57 प्रतिशत तक ले गए। जहां तक भ्रष्टाचार की बात है तो निगरानी के लिए कलेक्टर से लेकर प्रबंध संचालक और मुख्य सचिव स्तर तक कमेटी बनी थी, इसमें भ्रष्टाचार का प्रश्न ही नहीं उठता है। -गुरु रुद्र कुमार, पूर्व मंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, छत्तीसगढ़ चुनावी चक्रम

 

 

 

 

दीदी – भाभी के बीच तेज होने लगी जुबानी जंग

कोरबा लोकसभा क्षेत्र में महिला प्रत्याशियों के आमने-सामने होने से मुकाबला रोचक हो गया है। एक तरफ दीदी का चुनावी अभियान दुर्ग से आए उनके भाई संभाल रहे हैं, तो दूसरी तरफ भाभी की नैया पार लगाने खुद भैया ने पतवार थाम ली है। आलम यह है कि तेज तर्रार दीदी भ्रष्टाचार के आरोपों की झड़ी लगा रहीं, तो भाभी की जगह भैया उसकी सफाई देते नहीं थकते। खनिज न्यासा मद (डीएमएफ) में भ्रष्टाचार की डुबकियां लगाई जा रही थी, तब भाभी का मौन दर्शक बने रहना अब भारी पड़ रहा।

गंगाजल उठाकर अपने बेदाग होने की कसमें खानी पड़ रही। बौखलाहट में तो भैया मोदी को ही गरियाने लगे। पर यह दांव उनपर ही उलटा पड़ गया और हाथ जोड़ कर माफी मांगते हुए कहना पड़ा कि अब मैं मोदी के लिए कुछ भी नहीं कहूंगा। निष्क्रियता के आरोपों से घिरी भाभी अब दीदी से यह पूछ रहीं हैं कि मेरा नाम पता तो सभी जानते हैं पर वे बताएं कि वह कहां से आई है, यहां चुनाव लड़ने। जैसे-जैसे मतदान नजदीक आ रहा दीदी बनाम भाभी की जुबानी जंग तेज होती जा रही।

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