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CG Naxal News: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर जवानों का सबसे बड़ा आपरेशन, अबूझमाड़ में हाट परस्यूट और ड्राइव फार हंट से नक्सली हुए ढेर

HIGHLIGHTS

  1. – नक्सलियों के इको सिस्टम को ध्वस्त करने की कामयाबी
  2. – नक्सलियों के खिलाफ क्विक रिस्पांस लेते हुए तरीका बदला
  3. – खूफिया तंत्र की मजबूती के चलते नक्सलियों को किया गया ट्रेस

संदीप तिवारी,नईदुनिया रायपुर। Anti Naxal Operation in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कांकेर स्थित छोटेबेठिया थाना क्षेत्र की पहाड़ियों पर नक्सलियों के विरूद्ध हुए 16 अप्रैल को हुए अब तक के सबसे बड़े नक्सल आपरेशन में सुरक्षा बलों को नक्सलियों के इको सिस्टम को ध्वस्त करने में कामयाबी मिली है। अबूझमाड़ की पहाड़ियों के भीतर घुसकर जवानों ने नक्सलियों को घेरा और 29 को ढेर कर दिया। इस पूरी कामयाबी की वजह नक्सल आपरेशन की रणनीति में बदलाव को माना जा रहा है। अबूझमाड़ का यह इलाका नक्सलियों का हब माना जाता है। यहां सुरक्षा बल के जवानों हाट परस्यूट और ड्राइव फार हंट का एक मिला जुला आपरेशन चलाया।

अधिकारियों के मुताबिक नक्सलियों के खिलाफ क्विक रिस्पांस लेते हुए तरीका बदला और खड़ी पहाड़ियों से हमला किया। यह जवानों ने बड़ा रिस्क उठाया था। खूफिया तंत्र की मजबूती के चलते नक्सलियों को ट्रेस किया गया। जिस क्षेत्र में आपरेशन हुआ है वहां कई बार रेकी हुई और इसके बाद रिहर्सल भी किया गया। आखिरकार जवानों ने नक्सलियों को चारों तरफ से घेरकर उन्हें आगे ही नहीं बढ़ने दिया। नई रणनीति का असर रहा कि मुठभेड़ में बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए। घटनास्थल से 17 आटोमैटिक वेपन्स जब्त हुए। इस मुठभेड़ में छत्तीसगढ़ के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा नक्सली मारे गए।

क्या है हाट परस्यूट और ड्राइव फार हंट ?

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक हाट परस्यूट को ताजा या तत्काल पीछा के रूप में भी जाना जाता है। सैन्य बलों के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत जुझारू लोगों द्वारा एक आपराधिक संदिग्ध का तत्काल और प्रत्यक्ष पीछा करना है। ऐसी स्थिति अधिकारियों को ही कमांड शक्तियां प्रदान करती है जो अन्यथा उनके पास नहीं होती।

इसी ड्राइव फार हंट ऐसी स्थिति होती है जब विद्रोही किसी घने जंगल में सहारा ले लेते है तो उनकी पूरी खबर मिलना मुश्किल हो जाता है और इनके ठिकाने आमतौर पर बदलते रहते है। इसीलिए एक तरफ से तलाशी ली जाय और दाहिने बाए और सामने से विद्रोहियों को रोकने के लिए स्टाप पार्टियां लगाई जाए और इनको एक तरफ से हाका लगाकर एसी जगह ले जाकर बर्बाद किया जाए जो की पहले से मुकरर की गई हो। ऐसे अभियान को हम ड्राइव एंड हंट आपरेशन कहते है।

नक्सलियों का इको सिस्टम

जिस क्षेत्र में यह नक्सल आपरेशन हुआ है यह पहाड़ियों वाला इलाका है। यहां ऊंचे-ऊंचे पहाड़ हैं। इसे अबूझमाड़ के नाम से जाना जाता है। इस इलाके में आपरेशन करना बहुत कठिन काम है। अधिकारियों के मुताबिक नियमित रूप से गृह मंत्रालय इस पर निगाह बनाए हुए है। पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ लगातार बैठकें कर रहे हैं।

अभी डीजी बीएसएफ नितिन अग्रवाल छत्तीसगढ़ आए थे और उन्होंने पूरे इको सिस्टम के साथ संतुलन बैठाते हुए कैसे नक्सलियों पर आक्रमण किया जाए, इस पर रणनीति साझा की। उनका अनुभव का लाभ मिल रहा है। लगातार पुलिस और बीएसएफ के जवान मिलकर अभियान चला रहे हैं। इससे जवानों के पक्ष में एक बेहतर वातावरण निर्मित हुआ है।

अभी तक एसआइबी व दूसरी एजेंसियों ढेर नक्सलियों में शंकर राव का नाम कंफर्म किया है जो कि डिविजन स्तर का नक्सल कमांडर था। वह प्रतापपुर एरिया कमेटी में जितने भी नक्सल घटनाएं हुईं उसमें भी सक्रिय रहा। वह 25 लाख का ईनामी नक्सली था। इसी तरह ललिता, जुमनी, विनोद कावड़े का भी नाम लिया जा रहा है। बाकी का कंफर्म किया जा रहा है। अभी तक 21 हथियार मिले हैं।

बताते हैं कि डीआरजी और बीएसएफ के जवानों ने नक्सलियों के ही मांद में उन्हें उस समय ढेर किया किया जब वह दोपहर के समय खाना खाकर बैठे थे, तभी उनका कमांडर शंकर राव बैठक लेने की तैयारी कर रहा था। तब तक सुरक्षाबल के जवान 200 मीटर तक उनके करीब पहुंच चुके थे, इसके बाद हमला कर दिया।

इस योजना को कारगर मान रहे बीएसएफ के डीआइजी

छत्तीसगढ़ में बीएसएफ के डीआइजी के इंटेलीजेंस आलोक सिंह ने मीडिया से चर्चा में बताया कि इसका श्रेय केवल पुलिस और बीएसएफ ही अकेले ही जिम्मेदार नहीं है। इसके लिए केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय की कार्ययोजना को श्रेय दिया। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नियद नेल्लानार योजना चलाई गई है। इसका हिंदी में अर्थ है ”आपका अच्छा गांव”।

इसके लिए प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि 25 मूलभूत सुविधाएं गांव-गांव तक पहुंचाया जाए। इस योजना से गांव वालों में भारी उत्साह है। गांव वालों को उनकी मूलभूत सुविधाएं मिलने से उनका विश्वास मुख्य धारा में जुड़ने के लिए बढ़ा है। इसका असर यह हुआ है कि नक्सली गतिविधियां कांकेर में हतोत्साहित है।

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