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CG Lok Sabha Election 2024: हारों के सहारे कैसे लगेगा चुनावी जीत का बेड़ा पार, जानिए क्‍या है जनता का सियासी मूड

परितोष दुबे/रायपुरl CG Lok Sabha Election 2024: धरसींवा और आरंग विधानसभा की सीमा पर स्थित सतनामी समाज के गुरु अमरदास की तपोभूमि रही धनसुली के आसपास लाल मुरुमी जमीन तप रही है। पवित्र सरोवर के पास हवा का झोंका धूल- मिट्टी की परत उड़ाता है। थोड़ी देर में धूल वापस जमीन पर आ बैठती है, लेकिन हवा में तैर रही राजनीतिक चर्चा इस पुण्य भूमि पर तेज हो जाती है।

आरंग विधानसभा के अंतर्गत आने वाले धनसुली गांव के निवासी ईश्वरी बघेल से चुनावी चर्चा शुरू हुई तो आसपास के कई लोग चर्चा में जुड़ते चले गए। सात बच्चों के पिता ईश्वरी ने कहा कि कांग्रेस ने हारे हुए कई प्रत्याशियों को टिकट दिया है। ऐसे प्रत्याशियों के सहारे पार्टी का राज्य में बेड़ा पार होना कठिन है।

मुफ्त की रेवड़ियों पर खड़े किए सवाल

58 वर्षीय ईश्वरी सतनामी समाज से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने रोजगार के घटते अवसरों पर चिंता जताई। गांव में ही दो-तीन ऐसे युवाओं की बात बताई तो इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद भी बेरोजगार हैं। शिक्षा के निजीकरण और व्यवसायीकरण से क्षुब्ध ईश्वरी ने मुफ्त की रेवड़ियों पर भी सवाल खड़े किए।

देश में शराबबंदी की जरूरत जताई और इस मांग के किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में शामिल नहीं होने पर चिंता भी जाहिर की। रायपुर संसदीय क्षेत्र की चुनावी बिसात पर पूछे गए सवाल का उन्होंने कोई सीधा जवाब तो नहीं दिया लेकिन इशारों ही इशारों में अपनी बात जरूर कही।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सात मई को रायपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाता अपने सांसद का चुनाव करने के लिए मतदान करेंगे। मतदान में अभी लगभग सवा महीने का समय बचा है। तापमान बढ़ रहा है, तपिश तेज हो रही है।

राजनीतिक दलों के नेता-कार्यकर्ता अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में उतर आए हैं। हालांकि राजधानी की सीमा के अंदर और बाहर कहीं भी इस समय चुनावी माहौल बनता नहीं दिख रहा है। चौपाल पर चर्चा के लिए गांव की ओर बढ़ते समय नईदुनिया की टीम को लाभांडी से पहले एक पांचतारा होटल के पड़ोस में भाजपा के लिए दीवार लेखन करते हुए हितेश पेंटर मिले।

प्रचार ने अभी तक तेजी नहीं पकड़ी

हितेश ने बताया कि अभी प्रचार ने तेजी नहीं पकड़ी है। भाजपा के लिए तो कुछ दीवारों पर लेखन कर चुके हैं लेकिन अब तक कांग्रेस से कोई आर्डर नहीं मिला है। अप्रेल के पहले पखवाड़े में प्रचार में तेजी आएगी, हो सकता है उस समय काम बढ़े।

इससे आगे बढ़ने पर तुलसी बाराडेरा पंचायत इलाके में दूर- दूर तक मुरुम वाले मैदान पर दोपहर की तपिश के बीच चुनावी चकाचौंध गायब है। न किसी पार्टी के झंडे लगे हैं न ही किसी प्रत्याशी के पक्ष में दीवार लेखन किया गया है। ग्रामीण इलाके में आते ही छत्तीसगढ़ी संपर्क भाषा बन जाती है।

जरूरत तो मजबूत केंद्र सरकार की है

धरसींवा विधानसभा के अंतर्गत आने वाली तुलसी बाराडेरा पंचायत के निवासी व सेलून संचालक सूदन कुमार सेन केंद्र सरकार की ओर से संचालित विश्वकर्मा योजना के बारे में जानते हैं। जिसके अंतर्गत सेलून संचालकों (नाई) को मिलने वाली आर्थिक सहायता और ऋण दिया जाता है। वह कई बार योजना के हितग्राही बनने के लिए जरूरी कागजी कार्रवाई भी कर चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला है। उनके परिवार की तीन महिलाएं महतारी वंदन योजना का लाभ प्राप्त कर रही हैं।

गांव में साहू-यादव, ढीमर और सतनामी जाति के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। सेलून संचालक सेन बताते हैं कि उनकी दुकान में सभी राजनीतिक दलों के समर्थक और कार्यकर्ता आते हैं। सब की बातें सुनते हैं, अच्छा बुरा समझते हैं। सेन मानते हैं कि केंद्र में मजबूत सरकार रहना जरूरी है। वह सिलसिलेवार तरीके से पिछले दो दशकों में हुए विकास कार्यों का लेखाजोखा सामने रखते हैं लेकिन ज्यादातर विकास कार्य विधायकों से संबंधित ही रहते हैं।

आंखों- देखी

धनसुरी और बाराडेरा गांव में पवित्र जलाशय के पास धार्मिक स्थलों की ऋंखला के सामने बड़े मैदान में दूर-दूर तक प्लास्टिक की थैलियां पड़ी हुई हैं। दुकानदार बताते हैं छेरछेरा पुन्नी मेले के समय फैला अजैविक कचरा अब तक साफ नहीं किया गया है। सतनामी समाज के गुरु अमर दास की तपोभूमि रह चुकी धनसुरी के इस मेले के मैदान के संरक्षण की जरूरत है। पवित्र जलाशय तक जाने वाली कच्ची सड़क की हालत भी खस्ता है।

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