Chhattisgarh: स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्थापना में मनमानी जारी, उप संचालक होने के बाद भी कनिष्ठों को बनाया डीईओ"/>

Chhattisgarh: स्कूल शिक्षा विभाग में पदस्थापना में मनमानी जारी, उप संचालक होने के बाद भी कनिष्ठों को बनाया डीईओ

HIGHLIGHTS

  1. स्कूल शिक्षा में पर्याप्त उप संचालक होने के बाद भी परीक्षा के बीच कनिष्ठों को बनाया डीईओ
  2. स्कूल शिक्षा में खेल, प्राचार्य पास और उप संचालक फेल

संदीप तिवारी/रायपुर। Chhattisgarh News: स्कूल शिक्षा विभाग में मनमानी पदस्थापना और प्रभारवाद का खेल अनवरत जारी है। इस खेल में प्राचार्य पास हो रहे हैं और उप संचालक स्तर के अधिकारी फेल साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने छत्‍तीसगढ़ के 25 जिलों में एक बार फिर प्रभारी व कनिष्ठ प्राचार्याें को जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) नियुक्त कर दिया है। इसे लेकर छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने आपत्ति जताते हुए मामले की शिकायत मु़ख्य सचिव से की है। साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर विभाग कटघरे में खड़ा हो गया है।

प्रदेश के 33 में से सभी जिलों में कनिष्ठों को डीईओ बनाया गया है। यह पहली बार है जब किसी भी जिले में उप संचालक स्तर के अधिकारी नहीं हैं। इतना ही नहीं, संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालयों में भी वरिष्ठों के ऊपर कनिष्ठाें यानी उप संचालकों को संयुक्त संचालक की कमान सौंप दी गई है। ये स्थिति तब है जब प्रदेश में 33 उप संचालक हैं, नियमानुसार उन्हें ही डीईओ बनाया जाना चाहिए। इसके बाद वरिष्ठ प्राचार्यों को ही डीईओ बनाया जा सकता है।

सरकारी नियमों का उल्लंघन

राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के स्थायी आदेश 14 जुलाई 2014 में स्पष्ट किया गया है कि नियमित रिक्त पदों पर वरिष्ठों के रहते कनिष्ठों को किसी भी परिस्थिति में नियुक्त नहीं किया जा सकता है। नियमानुसार डीईओ पद पर उप संचालक स्तर के अफसर ही पात्र हैं मगर पिछले दरवाजे से योग्यता को दरकिनार करके अपात्रों को ही शिक्षा की कमान सौंप दी गई है।

पदोन्नति नहीं होने से मनमानी करने का मौका

जानकारों का कहना है कि समय पर पदोन्नति नहीं होने से विभाग को मनमानी करने का अवसर मिल रहा है। प्रदेश में ई-संवर्ग के प्राचार्य के 3,900 और टी- संवर्ग 1,300 प्राचार्य के पद रिक्त हैं। इन स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य के भरोसे ही व्यवस्था चल रही है। अगर समय रहते व्याख्याताओं की पदोन्नति होती तो प्राचार्य प्रभारी रखने की नौबत नहीं आती।

बतादें कि ई-संवर्ग के व्याख्याताओं की पदोन्नति 2016 में हुई थी जबकि टी-संवर्ग के व्याख्याताओं की पदोन्नति आखिरी बार 2003 में हुई थी। दो दशक बाद भी टी-संवर्ग में पदोन्नति नहीं हुई है। इसी तरह प्राचार्य से उप संचालक और उप संचालक से संयुक्त संचालक व संयुक्त संचालक से अपर संचालक के पद पर पदोन्नति नहीं हो रही है।

न्यायालय जाएगा एसोसिएशन

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पाल का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग के इस आदेश को न्यायालय में चुनौती दिया जाएगा, क्योंकि यह आदेश सामान्य प्रशासन विभाग के स्थायी आदेश का स्पष्ट उल्लघंन है। जिम्मेदार नियमित रिक्त पदों पर योग्य व वरिष्ठों की पदस्थापना की जाए, लेकिन सरकार ने नियमों को दरकिनार कर कनिष्ठों को चालू प्रभार सौंप दिया, जो उचित नहीं है।

पूर्व मंत्री ने सरकार को घेरा

पूर्व स्कूल शिक्षा मंंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने आरोप लगाया कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है। लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी लाभ लेने के लिए चहेतों को डीईओ बनाया है। परीक्षा के दौरान जिलों में ऐसे प्राचार्यों को डीईओ बनाया गया जो कि अनुभवहीन हैं, जबकि विभाग में पर्याप्त उप संचालकों व वरिष्ठों की संख्या है। प्रभारवाद को लेकर राजनीति करने वाली भाजपा की सरकार स्वयं कटघरे में आ गई है, जो योग्य अधिकारी हैं उन्हें पदों पर बैठाना चाहिए।

छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, कांग्रेस के समय तो व्याख्याताओं को डीईओ बनाया गया था। अभी हमारे पास उच्च स्तर के अधिकारी ही नहीं हैं। पदोन्नति की प्रक्रिया जारी है। हमने प्राचार्याें को डीईओ बनाया है, पहले देखेंगे तो व्याख्याताओं को डीईओ बनाया गया था।

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