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Mahtari Vandan Yojana: अगर आपने भी की है ये गलती तो नहीं मिलेगा महतारी वंदन योजना का पैसा, इन बातों का रखें ध्‍यान

HIGHLIGHTS

  1. एक ही नंबर से हितग्राही भर रहे तीन-तीन फार्म, निरस्त होना तयl
  2. किसी का सीआइएफ तो किसी का एकाउंट नंबर भी मिल रहा गलतl
  3. समाधान: आधार से लिंक मोबाइल नंबर करवाएं अपडेट, फिर करें आवेदनl

सौरभ मिश्रा/रायपुर। Mahatari Vandan Scheme: छत्‍तीसगढ़ की पात्र महिलाएं महतारी वंदन योजना के लिए आवेदन तो कर रही हैं, लेकिन मोबाइल नंबर के फेर में उन्हें सालभर में मिलने वाली 12,000 रुपये की राशि फंसती हुई दिखाई दे रही है, क्योंकि एक ही मोबाइल नंबर से ही दो से तीन आवेदन किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, कुछ हितग्राही तो आपरेटर या फिर चाइस सेंटर के नंबर तक से आवेदन कर रही हैं।

नईदुनिया की टीम ने आवेदनों की त्रुटियों की पड़ताल की तो पता चला कि कई आवेदन ऐसे हैं, जिनमें मोबाइल नंबर तो एक हैं ही, साथ ही अकाउंट नंबर, सीआइएफ नंबर भी गलत डाल दिया गया है। इसकी वजह से बनाए जा रहे प्रत्येक 100 बंडलों में 8-10 फार्म इसी तरह की त्रुटि वाले ही मिल रहे हैं। इन अपात्र आवेदनों को एकत्र किया जा रहा है। यह गड़बड़ियां निगम स्तर और शिविरों के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों के स्तर पर भी देखने को मिल रही है। आनलाइन एंट्री करने के दौरान भी इस तरह की गड़बड़ियां मिल रही हैं। ऐसे में त्रुटि वाले ऐसे सभी फार्म निरस्त कर दिए जाएंगे।

फार्म भरते समय इन बातों का रखें ध्यान

– एक मोबाइल नंबर से एक ही आवेदन भरें।

– बैंक पासबुक की साफ फोटो कापी उपलब्ध कराएं।

शपथ पत्र में हितग्राही अपना हस्ताक्षर अवश्य करें।

– आधार कार्ड की साफ फोटो कापी उपलब्ध कराएं।

अब ट्रैकिंग की भी मिलेगी सुविधा

अब इस योजना के तहत किए गए आवेदनों की स्थिति और उस पर की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी ली जा सकती है। शासन की ओर से आनलाइन पोर्टल पर आवेदन पत्र की स्थिति जानने की सुविधा प्रदान की गई है। इसमें अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर या फिर आधार कार्ड नंबर दर्ज कर आवेदनों पर की गई कार्रवाई के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

अब तक 51 लाख 16 हजार से अधिक

आवेदन प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 51.16 लाख से ज्यादा आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं। इनमें सर्वाधिक आवेदन रायपुर से पांच लाख से अधिक, जबकि सबसे कम आवेदन नारायणपुर से 17,170 आवेदन प्राप्त हुए हैं। वहीं, शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों के आवेदनों में अधिक गड़बड़ियां होने की आशंका जताई जा रही है।

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