Lok Sabha Election 2023: 17 में से 13 बार क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवार बने सांसद, 20 वर्षों से भाजपा के खाते में है जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट"/> Lok Sabha Election 2023: 17 में से 13 बार क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवार बने सांसद, 20 वर्षों से भाजपा के खाते में है जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट"/>

Lok Sabha Election 2023: 17 में से 13 बार क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवार बने सांसद, 20 वर्षों से भाजपा के खाते में है जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट

HIGHLIGHTS

  1. 17 बार हुए चुनाव में 11 बार कांग्रेस को और छह बार भाजपा के उम्मीदवार जीतें।
  2. कांग्रेस की इस परंपरागत सीट में 2004 के बाद से परिवर्तन हुआ।
  3. अब तक पांच बार महिला उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंची हैं।
डा. कोमल शुक्ला, जांजगीर-चांपा (नईदुनिया)। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित जांजगीर-चांपा संसदीय क्षेत्र पिछले 20 साल से भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में है। अस्तित्व में आने के बाद इस सीट पर शुरुआत के चार चुनावों में लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा। 1977 के चुनाव में यहां भारतीय लोकदल के प्रत्याशी मदन लाल शुक्ल ने जीत दर्ज की। अब तक उपचुनाव को मिलाकर 17 बार हुए चुनाव में 11 बार कांग्रेस को और छह बार भाजपा के उम्मीदवारों को यहां से जीत मिली है। वर्ष 2004 से यह सीट अब तक लगातार भाजपा के खाते में है।
 
अकलतरा, पामगढ़, सक्ती, जैजैपुर, चंद्रपुर, कसडोल, बिलाईगढ़ विधानसभा क्षेत्र को समेटे यह संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति बाहुल्य है। वर्ष 2009 में सारंगढ़ लोकसभा के विलुप्त होने के बाद उस क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा जांजगीर-चांपा लोकसभा में शामिल हो गया है। जबकि जांजगीर-चांपा लोकसभा से कोरबा और बिलासपुर जिले के विधानसभा की सीटें अलग हो गई है। महानदी और हसदेव नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र कृषि प्रधान है।
 
कांग्रेस की इस परंपरागत सीट में 2004 के बाद से परिवर्तन हुआ है। तब से लगातार 20 साल से यहां कमल खिल रहा है। कांग्रेस यहां फिर से अपनी जमीन तैयार करने में सफल नहीं हुई है। इस बार के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा की सभी आठों विधानसभा सीट पर कांग्रेस को जीत जरूर मिली है। इसको लेकर कांग्रेस उत्साहित है। हालांकि पूर्व लोकसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के परिणाम अलग-अलग होते हैं। ऐसे में किसी पार्टी के लिए इस लोकसभा की राह एकदम आसान नहीं है।

मिनीमाता की मृत्यु के बाद हुआ उपचुनाव

वर्ष 1971 के लोकसभा में मिनीमाता दूसरी बार यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं। मई 1974 में रायपुर से दिल्ली जाते समय प्लेन क्रैश होने से उनकी मृत्यु हो गई और यहां उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में कांग्रेस के भगतराम मनहर चुनाव जीते। मिनीमाता की मृत्यु से कांग्रेस को नुकसान भी हुआ। मिनीमाता अनुसूचित जाति वर्ग में गुरु मां के नाम से भी विख्यात थीं। पंडित जवाहर लाल नेहरू और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पंडित रविशंकर शुक्ल भी उनका बहुत सम्मान करते थे।

कांशीराम ने लड़ा था निर्दलीय चुनाव

जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र से 1984 में बसपा के संस्थापक कांशीराम उत्तर प्रदेश से यहां आकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। हालांकि इस चुनाव में उन्हें महज 32 हजार 135 वोट मिले और उनका वोट प्रतिशत 8.81 प्रतिशत रहा। बसपा की स्थापना इसी दौर में हुई थी। मगर पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिली थी। इसलिए उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा।

 

कांशीराम अपना चुनाव प्रचार करने साइकिल रैली से लेकर छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित करते थे। इस दौरान उनके साथ बसपा की मायावती भी होती थीं। इस चुनाव के बाद से जिले में बहुजन आंदोलन की जड़ें मजबूत हुई। वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा और अब न पचासी धोखा खाओ देश में अपना शासन लाओ, एक वोट और एक नोट जैसे नारे खूब चले। इससे आनेवाले समय में पामगढ़ व जैजैपुर विधानसभा में बसपा के उम्मीदवार जीतते रहे। हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली और उसके वोट कांग्रेस की ओर चले गए।

जूदेव को हार-जीत दोनों मिली

भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव कोइस लोकसभा क्षेत्र में जीत और हार दोनों का सामना करना पड़ा। वर्ष 1989 के चुनाव में दिलीप सिंह जूदेव ने कांग्रेस के प्रभात मिश्रा को पराजित किया था। जूदेव ने कांग्रेस उम्मीदवार को 98 हजार 893 वोटों से पराजित किया था। मगर 1991 के मध्यावधि चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस के भवानी लाल वर्मा ने दिलीप सिंह जूदेव को 29 हजार 425 वोट से हराया। पहला चुनाव जीतने के बाद जूदेव का क्षेत्र में दौरा कम होता था। इसलिए उन्हें जनता की नाराजगी झेलनी पड़ी और वह दूसरा चुनाव हार गए। जबकि पहले चुनाव में युवा मतदाता उनका रक्त तिलक लगाकर जगह-जगह स्वागत करते थे। इतना ही नहीं दिलीप सिंह जूदेव की तरह मूंछ रखना उन दिनों क्रेज हो गया था।

पांच बार जीतीं महिला उम्मीदवार

जांजगीर चांपा लोकसभा से अब तक पांच बार महिला उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंची हैं। इनमें दो बार मिनीमाता, एक बार करूणा शुक्ला और दो बार कमला देवी पाटले चुनाव जीती हैं। यह सीट प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में है। यहां भाजपा से दिलीप सिंह जूदेव जैसे दिग्गज नेता दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष और सहकारिता पुरुष के नाम से विख्यात पंडित रामगोपाल तिवारी भी यहां से सांसद रहे हैं। वहीं 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला भी यहां से चुनाव लड़कर जीत चुकी हैं।
 
इनके अलावा बसपा के संस्थापक कांशीराम और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम भी यहां से किस्मत आजमा चुके हैं। हालांकि इन दोनों को यहां से सफलता नहीं मिली। वर्ष 2009 में यह सीट एक बार फिर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई और जांजगीर-चांपा जिले के सभी छह विधानसभा क्षेत्र तथा बलौदाबाजार जिले की कसडोल तथा सारंगढ़ जिले की बिलाईगढ़ विधानसभा इस क्षेत्र में शामिल हो गई, जो पहले सारंगढ़ लोकसभा में शामिल थी। ताजा परिसीमन में सारंगढ़ लोकसभा क्षेत्र विलुप्त हो गया।

जानिए मतदाताओं की संख्या

कुल मतदाता – 20,24,224

 

पुरूष मतदाता – 10,19,910

 

महिला मतदाता – 10,04,288

 

थर्ड डेंजर – 26

अब तक ये रहे सांसद

अमर सिंह सहगल: 1957 में कांग्रेस के सरदार अमर सिंह सहगल ने चुनाव जीता, 1962 में दूसरी बार अमर सिंह सहगल विजयी हुए।

 

मिनीमाता: 1967 में कांग्रेस की प्रत्याशी मिनीमाता यहां चुनाव जीती थीं। इसके बाद 1971 में भी इन्होंने जाजंगीर लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी।
 
भगतराम मनहर : 31 मई 1974 को मिनीमाता की मृत्यु प्लेन क्रैश में हो गई। इसके बाद हुए उपचुनाव में भगतराम मनहर यहां से चुनाव जीते।
 
मदन लाल शुक्ल: 1977 में यहां से भारतीय लोकदल के उम्मीदवार मदन लाल शुक्ल चुनाव जीते।
 
रामगोपाल तिवारी: 1980 में कांग्रेस के रामगोपाल तिवारी यहां से चुनाव जीते।
 
प्रभात मिश्रा: 1984 में कांग्रेस के प्रभात मिश्रा यहां से सांसद रहे।

 

दिलीप सिंह जूदेव: 1989 में भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव चुनाव जीते। उन्होंने प्रभात मिश्रा को हराया।
 
भवानी लाल वर्मा: 1991 में कांग्रेस के भवानी लाल वर्मा चुनाव जीते। उन्होंने भाजपा के दिलीप सिंह जूदेव को हराया।
 
मनहरण लाल पांडेय: 1996 में भाजपा के मनहरण लाल पांडेय चुनाव जीते।

 

चरणदास महंत: 1998 और 1999 के चुनाव में कांग्रेस के डा. चरणदास महंत चुनाव जीते।
 
करुणा शुक्ला: 2004 के चुनाव में भाजपा की करूणा शुक्ला चुनाव जीतीं।
 
कमला देवी पाटले: 2009 और 2014 के चुनाव में भाजपा की कमला देवी पाटले चुनाव जीतीं।
 
गुहाराम अजगल्ले: 2019 में भाजपा के गुहाराम अजगल्ले चुनाव जीते।

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