Raipur: राजधानी की सुरक्षा में 10 हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे बने पुलिस के परमानेंट मुखबिर, मामलों को सुलझाने में मिल रही मदद
HIGHLIGHTS
- सबूत जुटाने और ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों को चिन्हांकित करने में मिल रही मदद
- लगभग आधे पेचीदा केस सीसीटीवी फुटेज से सुलझ रहे
रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। समय के साथ अपराध के प्रकरणों को सुलझाने के लिए पुलिसिंग का पैटर्न भी बदला है। पहले पुलिस मुखबिर तंत्र के जरिए आरोपितों तक पहुंचती थी, लेकिन अब थर्ड आई यानी सीसीटीवी कैमरे पुलिस की सहायता कर रहे हैं। हत्या, उठाईगिरी, चोरी, लूट, अपहरण जैसे केस में पुलिस सबसे पहले घटनास्थल और उसके आसपास के सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिंग खंगालती है।
75 प्रतिशत से ज्यादा पेचीदा मामलों में फुटेज के जरिए ही पुलिस को सफलता मिली है। इसे देखते हुए किसी भी तरह का अपराध होने पर राज्य पुलिस सबसे पहले कैमरों को खंगालती है। इसके जरिए आरोपित की शिनाख्त के साथ ही उस तक पहुंचना आसान हो जाता है। इसे देखते हुए राज्य पुलिस द्वारा थानों से लेकर शहर के चौक-चौराहों और हाईवे से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक करीब 10,000 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं।
दस साल पहले थी पुलिस मित्र योजना
राज्य पुलिस द्वारा 2010-11 में राजधानी रायपुर में पुलिस मित्र योजना चलाई गई थी। इसके तहत लोगों को पुलिस महकमे से जोड़ने के लिए हर मोहल्ले से 10-15 लोगों का ग्रुप बनाकर बाकायदा आइडी कार्ड दिया गया था। कुछ दिनों तक सब सामान्य रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद मुखबिरी के नाम पर अवैध वसूली, जुआ, सट्टा और शराबखोरी शुरू कर दी गई थी। इसकी शिकायत मिलने के बाद योजना को बंद कर पूरी यूनिट को भंग कर दिया गया था।
सुरक्षा घेरा बढ़ा
पुलिस और जिला प्रशासन के साथ ही कारोबारियों, शासकीय दफ्तर, निजी कंपनियां, एटीएम और नागरिकों द्वारा अपनी सुविधा के लिए कैमरे लगाए गए हैं। इसके जरिए सड़क से लेकर गलियां और चौक-चौराहा कैमरे की जद में रहते हैं। किसी भी अपराध की तह तक जाने के लिए पुलिस से लेकर जांच एजेंसियां तक इसे खंगालती है।
फैक्ट फाइल
-
- 3,000 कैमरे हैं लगभग थानों में
-
- 3,500 कैमरे प्रदेश के चौक-चौराहों में
-
- 3,000 कैमरे ग्रामीण क्षेत्र और हाईवे पर
- 1,000 कैमरे अन्य जगहों पर