Raipur News: खतरे में है रायपुर के इस गांव के लोगों की जान, खदानों में खनन पर रोक के बावजूद नियम विरुद्ध हो रही ब्लास्टिंग"/> Raipur News: खतरे में है रायपुर के इस गांव के लोगों की जान, खदानों में खनन पर रोक के बावजूद नियम विरुद्ध हो रही ब्लास्टिंग"/>

Raipur News: खतरे में है रायपुर के इस गांव के लोगों की जान, खदानों में खनन पर रोक के बावजूद नियम विरुद्ध हो रही ब्लास्टिंग

रायपुर। Raipur News: छत्‍तीसगढ़ में गौण खनिज की खदानों में अवैध रूप से खोदाई और ब्लास्टिंग की जा रही है। हालात ऐसे हैं कि पर्यावरण स्वीकृति निरस्त होने के बावजूद 17 मीटर तक खोदाई कर ब्लास्टिंग की जा रही है। वहीं, ब्लास्टिंग की वजह से आसपास बसे गांव तक हिल जा रहे हैं। इसके बावजूद इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 1500 से भी ज्यादा खदानें हैं। जिनकी ईसी (इनवायरमेंट क्लीयरेंस) यानी पर्यावरण स्वीकृति निरस्त कर दी गई है। इसके साथ ही पत्थर, चूना पत्थर, मिट्टी-मुरूम और रेत खदानों में खनन पर रोक लग गई है। तुलसी बाराडेरा से लेगे धनसुली गांव में महेश प्रितवानी की दो खदानों में खुलेआम ब्लास्टिंग करके चूना पत्थरों को तोड़ा जा रहा है। महेश पिरतवानी की दो खदानों मे 17 मीटर का होल किया जा रहा था। प्रशासन ने पूरी तरह से बोर ब्लास्टिंग पर रोक लगा रखी है, इसके बाद भी 17 मीटर खनन करके बारूद भरा जा रहा था। इस हैवी ब्लास्टिंग से गांव के मकानों की दीवारों में दरारें आ गई हैं।

जानिए, क्या है नियम

नियमानुसार एक मीटर से ज्यादा का होल नहीं किया जा सकता। वहीं, क्वारी लीज में एक बार में 20 से ज्यादा होल नहीं किए जा सकते। इसके इतर यहां 20 से 50 होल में बारूद भर कर ब्लास्टिंग की जा रही है। धनसुली की अधिकांश खदानों में बिना सुरक्षा के ब्लास्टिंग की जा रही है। जबकि बोर ब्लास्टिंग के लिए डीजीएमएस से अनुमति लेना जरूरी है।

एनजीटी ने जारी किया था आदेश

 

 

एनजीटी की सेंट्रल जोनल बेंच भोपाल द्वारा छह नवंबर को आदेश जारी किया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था, कि खदानों के पट्टेदार राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (एसईआईएए) से ईसी नहीं लेंगे, तो खदानें नहीं चला पाएंगे। वहीं, पांच दिसंबर को क्षेत्रीय कार्यालयों ने कलेक्टरों व जिला खनिज अधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसी सभी खदानों को बंद कराने के निर्देश दिए हैं।

बिना पुनर्मूल्यांकन के बिना हो सकता खनन

जिले में जिला स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (डीईआईएए) द्वारा और राज्य में एसईआईएए द्वारा स्वीकृति दी जाती है। डीईआईएए द्वारा दी जाने वाली ईसी पर रोक लगा दी गई, लेकिन पहले से ही बड़ी संख्या में डीईआईएए से मिली ईसी के आधार पर राज्य में खदानें चल रही थी। पिछले माह एनजीटी द्वारा जारी किए गए आदेशानुसार एसईआइएए द्वारा पुनर्मूल्यांकन (री-अप्रैजल) जरूरी है।

धनसुली खदान संचालक महेश पिरतवानी ने कहा, प्रदेश की सभी खदानों की ईसी रद्द कर दी गई है। खनन सभी कर रहे हैं। संघ के बड़े-बड़े पदाधिकारी भी अवैध ब्लास्टिंग कर रहे हैं।

कलेक्टर रायपुर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा, अभी खदानों की ईसी रद्द कर दी गई है। विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। वीडियो के माध्यम से शिकायत मिली है, टीम भेजा जाएगा। अवैध माइनिंग करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

 
 

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