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AIIMS में जुटे मेडिकोलीगल एक्सपर्ट बोले- मनोविज्ञान-फारेंसिक साइंस से आसानी से सुलझ सकते हैं आपराधिक मामले

रायपुर (राज्य ब्यूरो)। राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मेडिकोलीगल एक्सपर्ट दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन एफएमटीएमपीसीजी कान-6 का आयोजन किया गया। पहले दिन फारेंसिक मेडिसिन और टाक्सिकोलाजी के विशेषज्ञों ने फारेंसिक साइंस के क्षेत्र में आ रहे बदलावों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।

उन्होंने कहा कि आपराधिक मामलों को मनोविज्ञान और फारेंसिक साइंस की मदद से ज्यादा आसानी के साथ सुलझाया जा सकता है। एम्स के एफएमटी विभाग के तत्वावधान में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में देशभर के प्रमुख फारेंसिक साइंस विशेषज्ञ शामिल हुए हैं।
 

इसमें क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन में मनोविज्ञान की भूमिका, पोस्टमार्टम में माइक्रोबायोलाजी की मदद से विश्लेषण, नवीन रेडियोलाजी तकनीक, अंग प्रत्यारोपण के नीतिगत और विधिक पक्ष, हिमोरेजिक और पाइजनिंग से होने वाली मृत्यु की जांच में फारेंसिक विशेषज्ञों की भूमिका के बारे में बताया गया। सम्मेलन में प्रमुख रूप से फारेंसिक विशेषज्ञ डा. राघवेंद्र विद्वा और डा. एसआर गर्ग शामिल हुए।

एम्स में एफएमटी विभागाध्यक्ष डा. कृष्णदत्त चावली ने बताया कि मेडिकोलीगल के विभिन्न मुद्दों के बारे में चिकित्सा विशेषज्ञों में जागरूकता बढ़ाने और मेडिकोलीगल प्रेक्टिशनर्स को नवीनतम तकनीक और तथ्यों के बारे में जानकारी देने के लिए कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है।

सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को केस बेस्ड प्रजेंटेशन और पोस्टमार्टम के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया जाएगा। कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में अधिष्ठाता (अनुसंधान) प्रो. सरिता अग्रवाल, डा. दीपक डिसूजा, डा. स्वप्निल आघाड़े, डा. पंकज घोरमडे आदि मौजूद थे।

 

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