विधानसभा में भाजपा की जीत के बाद नगर निगम में हो सकता है उलटफेर, महापौर ढेबर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी"/> विधानसभा में भाजपा की जीत के बाद नगर निगम में हो सकता है उलटफेर, महापौर ढेबर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी"/>

विधानसभा में भाजपा की जीत के बाद नगर निगम में हो सकता है उलटफेर, महापौर ढेबर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी

HIGHLIGHTS

  1. चुनाव के नतीजों के बाद अब निगम में भी राजनीतिक उथल-पुथल शुरू
  2. रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर की कुर्सी खतरे में
  3. आज भाजपा पार्षद दल की बैठक, कुछ कांग्रेस पार्षद भी समर्थन में

रायपुर। Raipur Mayor Ejaz Dhebar: विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब निगम में भी राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हो गई है। कांग्रेस को शहर की चारों विधानसभा सीटों के 70 वार्डों में मिली हार के बाद कांग्रेस के पार्षदों में भी नाराजगी है। भाजपा पार्षद दल इसे भुनाने के फिराक में नजर आ रहा है। इसे लेकर मंगलवार को भाजपा पार्षद दल की बैठक दोपहर 12 बजे आहूत की गई है। इसमें महापौर एजाज ढेबर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के संदर्भ में चर्चा की जाएगी।

निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने कहा कि महापौर को नैतिक तौर पर इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस के कुछ पार्षद भी इस समय बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहे हैं। अब मंगलवार को ही तय होगा कि अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा किस तरीके से आगे बढ़ती है और कांग्रेसी पार्षदों का कितना समर्थन उसे मिलता है।

अविश्वास के लिए एक तिहाई जरूरी

अफसरों के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एक तिहाई पार्षदों की सहमति जरूरी होती है। इसे पास करवाने के लिए बहुमत लाना जरूरी होता है।

जानिए, हम क्यों कह रहे महापौर की कुर्सी खतरे में

31 भाजपा के पार्षद वर्तमान में: नगरीय निकाय चुनाव के बाद 29 भाजपा पार्षद जीत कर आए थे, जिसके बाद दो निर्दलीय भाजपा में शामिल हुए थे। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भाजपा बहुमत से ज्यादा दूर नहीं है।

सिर्फ पांच कांग्रेसी पार्षदों के समर्थन की जरूरत

नईदुनिया से चर्चा के दौरान कुछ कांग्रेसी पार्षदों ने बताया कि वे भी महापौर एजाज ढेबर के खिलाफ भाजपा का साथ देने को तैयार हैं। 10 कांग्रेसी पार्षद भाजपा का साथ दे सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए भाजपा को सिर्फ पांच की जरूरत है। ऐसे में महापौर की कुर्सी खतरे में जा सकती है।

नाराजगी इसलिए

पांच वर्ष से लंबित जनहित की फाइल: नईदुनिया ने जब कुछ पार्षदों और अधिकारियों से बात की तो सामने आया कि कई जनहित की फाइलें ऐसी रहीं, जो पांच वर्ष से लंबित रहीं। इसकी वजह से कांग्रेसी पार्षदों में भी नाराजगी है।

कार्यप्रणाली को लेकर सवाल

कई ऐसे मामले हैं जिन्हें लेकर कांग्रेसी पार्षद पिछले कई दिनों से नाराज दिखाई दे रहे हैं। कई जनहित के कार्य, विकास की योजनाएं अटकी हुई हैं। इसकी वजह से कांग्रेसी पार्षद विरोध में उतर आए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button