रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में मूल्यांकन में गड़बड़ी की शिकायत के बाद बदली व्यवस्था, अब बाहरी प्राध्यापक जांचेंगे कापियां
HIGHLIGHTS
- पूरक परीक्षा के परिणाम समय से जारी करने कापियों का केंद्रीय मूल्यांकन शुरू
रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की चल रही पूरक परीक्षाओं की कापियों का केंद्रीय मूल्यांकन शुरू कर दिया गया है। पहली बार पूरक परीक्षाओं की कापियों का विश्वविद्यालय केंद्रीय मूल्यांकन करवा रह है। शिक्षकों की जांची हुई कापियों के बंडल से 20 से 25 कापियों को निकालकर रेंडमली चेक किया जाएगा। ताकि मूल्यांकन में होने वाली गड़बड़ी को भी पकड़ा जा सके।
मूल्यांकन में लगातार गड़बड़ी की शिकायत के बार विश्वविद्यालय प्रबंधन ने यह व्यवस्था बदली है। पूरक परीक्षा में इस बार लगभग 35 हजार छात्र-छात्राएं शामिल है। इन छात्रों की कापियां की जांच शुरू हो गई है। ताकि परीक्षा पूरी होने के बाद एक सप्ताह के अंदर परीक्षा परिणाम जारी कर दिया जाएगा। जिससे छात्रों को अगली कक्षा की परीक्षाओं की तैयारी करने का समय मिल सके।
विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं मार्च में शुरू होगी। इस लिहाज से छात्रों के पास वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी के लिए महज ढाई महीने मिलेंगे।पूरक परीक्षाओं में नया नियम लागू होने के कारण परीक्षा शुरू होने में देरी हुई है। हर वर्ष पूरक परीक्षा अगस्त-सितंबर महीने में हो जाती थी। अक्टूबर में परीक्षा परिणाम जारी कर दिया जाता था। लेकिन इस वर्ष परीक्षाएं देरी से शुरू हो रही है। ज्यादा छात्र होने के कारण परीक्षाओं में भी समय लग रहा है। इस बार पूरक परीक्षाएं एक महीने से भी ज्यादा समय तक चल रही है।
नतीजों के बाद मूल्यांकन में उठते थे सवाल
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि हर वर्ष वार्षिक, सेमेस्टर और पूरक परीक्षाओं के परिणाम आने के बाद मूल्यांकन को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इस कारण से व्यवस्था बदली गई है। प्रयोग के तौर पर पिछले दिनों पीएचडी प्रवेश परीक्षा की कापियों का केंद्रीय मूल्यांकन करवाया गया।
इसके तहत विश्वविद्यालय आकर ही शिक्षकों ने कापी जांची। इसी तरह अब पूरक परीक्षाओं की भी कापियों का मूल्यांकन शुरू हो गया है। अगले महीने शुरू हो रही एमए, एमएससी, एमकाम समेत अन्य कक्षाओं की सेमेस्टर परीक्षाओं की कापियाें का भी केंद्रीय मूल्यांकन कराया जाएगा। इससे समय की बचत भी होगी, साथ ही कापी जांचने में शिक्षक भी सावधानी बरतेंगे।
पैसे के चक्कर में शिक्षक कापी जांचने में करते थे जल्दबाजी
ज्यादा कापी जांचकर ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में शिक्षक कापी जांचने में गड़बड़ी करते थे।कापियों का बंडल घर ले जाने के कारण कई बार शिक्षक खुद कापी न जांचकर अपने रिसर्च स्कालर से भी कापी जंचवा लेते थे।जिससे गड़बड़ियां बहुत होती थी। केंद्रीय मूल्यांकन शुरू होने की वजह से शिक्षकों को विश्वविद्यालय आकर खुद कापी जांचनी होगी।
कापी जांचने का होता था ठेका
अभी तक पीआरएसयू की परीक्षाओं की कापियों का मूल्यांकन ठेके सिस्टम से होता रहा है।इसके तहत परीक्षा पूरी होने के बाद कापियों को अलग-अलग नोडल सेंटर में भेजा जाता था।सेंटर से भी कापियां जांचने के लिए दी जाती थी।पिछले कुछ वर्षों से कापी जांचने की लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही थी। इस वर्ष गलत कापी जांचने वाले कुछ शिक्षकों पर कार्रवाई भी हुई है।