Raipur News: आंबेडकर अस्पताल के डाक्‍टरों ने की दुर्लभ सर्जरी, दिल से निकाला 140 ग्राम का ट्यूमर, मरीज को मिली नई जिंदगी"/>

Raipur News: आंबेडकर अस्पताल के डाक्‍टरों ने की दुर्लभ सर्जरी, दिल से निकाला 140 ग्राम का ट्यूमर, मरीज को मिली नई जिंदगी

HIGHLIGHTS

  1. आंबेडकर अस्पताल के डाक्टरों ने आपरेशन कर दी नई जिंदगी l
  2. एक लाख में एक को होती है हार्ट में ऐसी गांठ की समस्या l
  3. एक साल से मरीज को सांस लेने में हो रही थी तकलीफ l

रायपुर। Raipur News: राजधानी के आंबेडकर अस्पताल में स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआइ) के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. कृष्णकांत साहू ने 50 वर्षीय मरीज के दिल में स्थित चार कक्ष में से बाएं निलय में स्थित दिल के दुर्लभ कैंसर ट्यूमर का सफल आपरेशन कर जान बचाई है।

एक लाख में से एक को होने वाले दुर्लभ करीब 140 ग्राम के ट्यूमर को निकालने के लिए मरीज के हार्ट को पूरी तरह बंदकर बाइपास मशीन की सहायता से सर्जरी की गई। सात दिनों बाद मरीज डिस्चार्ज होकर घर चला गया है। एसीआइ पहुंचने से पहले मरीज को एक साल से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और वह खांसी का इलाज करा रहा था।
 

निजी अस्पताल की आइसीयू में था भर्ती

गुंडरदेही निवासी व्यक्ति विगत एक वर्ष से सांस फूलने और खांसी से पीड़ित था। दो माह से सांस फूलने की तकलीफ ज्यादा बढ़ गई थी, जिसके कारण निजी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती करना पड़ा था। वहां पर डाक्टरों ने हृदय के वाल्व खराब होने का कारण बताया। वहां से पीड़ित आंबेडकर अस्पताल आ गया। यहां कार्डियक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. कृष्णकांत साहू ने जांच किया तो पाया कि दिल के अंदर गांठ है। उन्होंने पीड़ित को तुरंत आपरेशन कराने की सलाह दी।

डा. साहू ने बताया कि मनुष्य के हृदय में चार कक्ष दायां आलिंद, दायां निलय, बायां आलिंद और बायां निलय होता है। मरीज के बाएं निलय के अंदर पूरा ट्यूमर फैल गया था। ऐसी स्थिति में आपरेशन जल्द करनी पड़ती है, क्योंकि कभी भी वाल्व बंद हो जाने का खतरा रहता है।

ऐसे किया गया आपरेशन

डा. साहू ने बताया कि मरीज के हृदय एवं फेफड़े को बंद करके उसे कृत्रिम हृदय एवं फेफड़े में रखा गया, जिसे हार्ट लंग बायपास मशीन कहा जाता है। इसके बाद हार्ट के दाएं एवं बाएं आलिंद को खोलकर ट्यूमर को निकाला गया। साथ ही दोनों निलय के बीच की दीवार को भी काटकर निकाला गया, जिससे ट्यूमर दोबारा न हो। इसके बाद पुनः दोनों आलिंद के बीच दीवार बनाई गई और निलय को रिपेयर किया गया। आपरेशन में करीब साढ़े तीन घंटे का समय एवं तीन यूनिट ब्लड लगा।

 

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