करोड़ों के चावल की हेराफेरी मामले में ईडी के रडार पर राइस मिलर, ट्रांसपोर्टरों के साथ अधिकारियों की गिरफ्तारी की तैयारी
HIGHLIGHTS
- 175 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में की थी उगाही
- प्रोत्साहन राशि बढ़ने के बाद 13 करोड़ का भुगतान
- राइस मिलर, ट्रांसपोर्टर और अफसरों की हो सकती है गिरफ्तारी
रायपुर। Rice Scam in Chhattisgarh: करोड़ों के चावल की हेराफेरी के मामले को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) प्रोत्साहन घोटाला कह रही है। इस घोटाले की जांच में 13 राइस मिलर, तीन ट्रांसपोर्टरों के साथ नान और मार्कफेड के कई अफसर ईडी के रडार में आ गए हैं। ईडी की जांच में यह साफ हो चुका है कि मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी के कहने पर छत्तीसगढ़ राइस मिलर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर ने 175 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में उगाही की थी।
दरअसल धान में स्पेशल अलाउंस में बढ़ोतरी के बाद से 40 रुपये से 120 रुपये क्विंटल के हिसाब से 500 करोड़ रुपये का भुगतान जारी किया गया था। इसका फायदा अफसरों ने जमकर उठाया। ईडी की छापामार कार्रवाई में कई आपत्तिजनक दस्तावेज़, डिजिटल उपकरण के साथ नकदी 1.06 करोड़ जब्त किए गए हैं। अब रडार पर आए सभी पर शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है। ईडी के जानकार सूत्रों की मानें तो कभी भी राइस मिलर, ट्रांसपोर्टर और अफसरों की गिरफ्तारी हो सकती है।
प्रोत्साहन राशि घोटाला में मिले कई अहम दस्तावेजी सबूत
दरअसल पिछले कुछ दिनों से ईडी लगातार मार्कफेड के पूर्व एमडी और राइस मिलरों के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी। ईडी ने अधिकृत तौर पर इस कार्रवाई को लेकर कहा है कि आयकर विधायक की शिकायत के आधार पर जांच के दौरान कस्टम मिलिंग विशेष प्रोत्साहन राशि में घोटाला के कई अहम दस्तावेजी सबूत मिले हैं, जिसकी जांच अंतिम चरण में है। इसके अनुसार राइस मिलर एसोसिएशन ने मार्कफेड के अधिकारियों के साथ मिलकर विशेष प्रोत्साहन राशि का दुरुपयोग करने के साथ करोड़ों की रिश्वत कमाने की साजिश रची थी। ईडी ने इसे प्रोत्साहन घोटाला संबोधित किया है।