Gandhi Jayanti Vishesh: पढ़िए ‘फरडीनैंड’ की कहानी जो गांधीजी को भी पसंद थी
बहुत पहले की बात है। स्पेन में एक नन्हा बैल रहता था, नाम था फरडीनैंड। फरडीनैंड के हमउम्र बैल तरह-तरह की शैतानियां करते रहते थे।
इंदौर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर पूरे देश अपने प्यारे बापू को याद कर रहा है। जगह-जगह विशेष आयोजन हो रहे हैं और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी जी रही है। बापू की सीख को याद किया जा रहा है। उनसे जुड़े किस्से सुनाए जा रहे हैं।
The Story Of Ferdinand Written By American Author Munro Leaf In Hindi
बहुत पहले की बात है। स्पेन में एक नन्हा बैल रहता था, नाम था फरडीनैंड। फरडीनैंड के हमउम्र बैल तरह-तरह की शैतानियां करते रहते थे। उछलते-कूदते और एक-दूसरे से सिर टकराते फिरते। फरडीनैंड की रुचि इन सारे कामों में नहीं थी। उसे तो आराम से बैठकर फूलों की खुशबू लेना ज्यादा पसंद था। चारागाह में कॉर्क के वृक्ष के नीचे वाली जगह उसे खूब सुहाती थी और वह अक्सर वहीं बैठता था। यह उसका पसंदीदा पेड़ था और इसकी छाया में बैठकर वह पूरा दिन फूलों की सुगंध लिया करता था। फरडीनैंड के भविष्य को लेकर दूसरी मांओं की तरह उसकी मां को भी चिंता होती थी। मां को डर था कि इस तरह तो यह अलग-थलग रह जाएगा, बिल्कुल अकेला।
‘तुम दूसरों की तरह उछल-कूद और सिर लड़ाने का खेल क्यों नहीं करते?’ मां ने फरडीनैंड से टोह लेने के अंदाज में पूछा। फरडीनैंड ने बहुत शांति के साथ जवाब दिया, ‘इसके बजाय मुझे आराम से बैठकर फूलों की खुशबू लेना ज्यादा पसंद है।’
फरडीनैंड की मां समझदार थीं और जब उन्होंने देखा कि फरडीनैंड एकदम अकेला भी नहीं है बल्कि उसके आसपास तो बहुत सारी चीजें हैं तो उन्होंने उसकी बात पर आपत्ति लेना बंद कर दिया। मां अब संतुष्ट थीं। समय बीतता गया और फिर फरडीनैंड बड़ा हो गया। अब वह एक ताकतवर और हष्ट-पुष्ट सांड था। वहीं के चारागाह पर उसके साथियों का बचपन सारा दिन एकदूसरे को अपने सींगों से धकेलने और सिर लड़ाने में बीता था। साथियों
की कोशिश यही थी कि उन्हें राजधानी मैड्रिड में होने वाली ‘बुलफाइट’ के लिए चुन लिया जाए। फरडीनैंड की इस तरह की लड़ाई में जाने की कोई इच्छा नहीं थी। उसे तो फूलों की खुशबू लेना ही ज्यादा रुचिकर काम लगता था।
एक दिन रंगबिरंगी टोपियां पहने पांच आदमी गांव आए। वे मैड्रिड की लड़ाई में लड़ने के लिए सांड के चुनने को आए थे। उन्हें देखकर सभी सांड उछलकूद मचाने लगे। एकदूसरे से जोर आजमाइश करने लगे। सभी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे, जिससे वे बुलफाइट के लिए चुन लिए जाएं। फरडीनैंड नहीं चाहता था कि उसका चयन हो और वह जानता था कि उसे चुना नहीं जाएगा, इसलिए वह अपने पसंदीदा कॉर्क के पेड़ के नीचे जाकर आराम से बैठ गया। मगर वह जहां बैठा उस जगह पर उसने गौर नहीं किया और नर्म घास पर बैठने के बजाय वह एक मधुमक्खी पर बैठ गया। अगर तुम मधुमक्खी हो और कोई सांड तुम्हारे ऊपर बैठ जाए तो तुम क्या करोगे? डंक ही मारोगे ना? मधुमक्खी ने भी वही किया। जैसे ही मधुमक्खी ने डंक मारा फरडीनैंड जोर से उछला। वह भागने लगा। जमीन पर अपने पैर पटकने लगा। ऐसा लगने लगा मानो फरडीनैंड पागल हो गया हो।
जब उन पांच आदमियों की नजर फरडीनैंड पर पड़ी तो वे खुशी से चिल्लाए- ‘हमें सबसे ताकतवर सांड मिल गया, बुलफाइट के लिए तो यह एकदम उपयुक्त है।’ तो उन्होंने फरडीनैंड को एक गाड़ी में चढ़ाया और मैड्रिड ले गए।
क्या दिन था वह! झंडियां लहरा रही थीं। बैंड बज रहा था। खूबसूरत औरतें अपने जूड़े में महकने वाले फूल लगाकर सांडों की लड़ाई देखने आई थी। रिंग के गोले में पहले एक परेड हुई। सबसे आगे बैंडरीलो सिपाहियों का दस्ता आया। इनके हाथ में वह डंडी थी जिसमें लाल रिबन लगी थी और उसके एक सिरे पर नुकीली पिन थी जिसे चुभोकर सांड को लड़ने के लिए उकसाया जाता था। इसके बाद घोड़े पर सवार जवान आए जिनके हाथों में भाले थे, जो सांड को क्रोधित करने के लिए थे। इसकेपीछ इठलाता एक युवक आया, जो खुद को बहुत सुंदर समझ रहा था। इस सुंदर से युवक ने महिलाओं की तरफ गर्दन झुकाई। उसके सिर पर एक लाल टोपी थी और हाथ में एक तलवार थी। अगर सुई और भाले से भी सांड लड़ने को तैयवार नहीं हो तो उसे यह तलवार चुभोई जानी थी। और इनके पीछे-पीछे आया लड़ने वाला सांड। जिसे तुम जानते हो। हमारा फरडीनैंड।
फरडीनैंड सबसे ताकतवर सांड, कहकर उसका परिचय करवाया गया। उसे देखकर परेड में मौजूद हर किसी की सांसें थमी रह गई। फरडीनैंड दौड़कर रिंग के बीच में पहुंच गया और तालियां बजने लगी। सभी सोचने लगे कि अब भयंकर लड़ाई देखने को मिलेगी, फरडीनैंड योद्धाओं को अधमरा कर देगा और खूब मजा आएगा। इससे दर्शकों में शोर-शराबा बढ़ गया। फरडीनैंड जब रिंग के बीच में पहुंचा तो उसने देखा कि सारी खूबसूरत महिलाओं के जूड़े में लगे फूलों से खुशबू आ रही है। बस फरडीनैंड रिंग के बीचोबीच बैठ गया और खुशबू सूंघने लगा।
रिंग के अंदर उसे उकसाने की बहुत कोशिशें हुईं, पर फरडीनैंड बैठा रहा और खुशबू सूंघता रहा। फरडीनैंड ने अपने मन में निश्चय कर लिया था कि ये लोग चाहे जो कर लें मैं ना तो किसी को मारूंगा और ना ही लड़ूंगा। उसे लड़ाने के लिए उकसाने वाले सारी कोशिशें करके हार गए। सारे योद्धाओं ने सिर पीट लिया। फिर फरडीनैंड को उसके घर पहुंचा दिया गया। और अपने घर पहुंचने के बाद फरडीनैंड फिर से अपने पसंदीदा कॉर्क के पेड़ के नीचे बैठ गया और फूलों की खुशबू लेने लगा। वह बहुत खुश था।
– मुनरो लीफ