CG Election 2023: कहीं कांग्रेस, कहीं भाजपा के लिए संजीवनी बना परिसीमन, जानें पूरा सियासी समीकरण
Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद होने वाले चुनाव और उसके परिणाम पर नजर डालें तो किसी जिले में भाजपा तो किसी जिले में कांग्रेस के लिए यह संजीवनी साबित हो रही है। राजनीतिक परिस्थितियां कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा दिख रही हैं।
वर्ष 2007 में प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन किया गया। बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले छह जिलों में भी परिसीमन के बाद विधानसभा क्षेत्रों का गठन किया गया है। परिसीमन का असर बिलासपुर जिले की दो सीटों पर सबसे ज्यादा हुआ। जरहागांव और सीपत को विलोपित कर दिया गया है। जरहागांव को विलोपित कर पूरा हिस्सा मुंगेली विधानसभा में शामिल कर दिया गया है।
इसी तरह सीपत के विलोपित होने के बाद नया विधानसभा क्षेत्र बेलतरा अस्तित्व में आया। सीपत विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा बेलतरा विधानसभा में बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों को शामिल किया गया है। मंगला, राजकिशोर नगर के अलावा खमतराई और बहतराई जैसी बड़ी पंचायतें भी विधानसभा का हिस्सा बन गई हैं। दोनों नई विधानसभा सीटें भाजपा के लिए शुभ रही हैं।
परिसीमन के बाद से आजतक यहां से कांग्रेस जीत नहीं पाई। भाजपा और कांग्रेस के साथ ही बसपा के लिए भी नई सीटें नई राजनीतिक संभावनाएं लेकर आई हैं। जांजगीर-चांपा जिले का मालखरौदा विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुआ करता था। यहां से बसपा के उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे थे।
भाजपा के पराजित प्रत्याशी निर्मल सिन्हा ने बसपा के निर्वाचित विधायक लालसाय खुंटे के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए खुंटे को आचार संहिता उल्लंघन का दोषी मानते हुए विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी थी।
उपचुनाव में भाजपा ने निर्मल सिन्हा को चुनाव मैदान में उतारा। चुनाव जीत गए। मालखरौदा को विलोपित कर जैजैपुर सीट बनाया। जैजैपुर को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया। परिसीमन के बाद हुए पहला चुनाव बसपा के खाते में गया। वर्ष-2013 में कांग्रेस ने महंत रामसुंदर दास को चुनाव मैदान में उतारा और खाता खोला। वर्ष-2018 के चुनाव में बसपा के केशव चंद्रा चुनाव जीतने में सफल रहे।
रायगढ़ में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस
रायगढ़ जिले की चार में से एकमात्र सीट सरिया को विलोपित कर रायगढ़ विधानसभा में शामिल किया गया है। परिसीमन के बाद वर्ष-2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शक्राजीत नायक ने जीत का खाता खोला। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रोशनलाल अग्रवाल चुनाव जीते। वर्ष-2018 के चुनाव में यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के कब्जे में आ गई। शक्राजीत नायक विधायक बने।
कोरबा जिले में कांग्रेस फायदे में
कोरबा जिले में कटघोरा, रामपुर और पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था। कटघोरा और पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र की सीमाओं को अलग कर नया विधानसभा कोरबा बनाया गया। कोरबा विधानसभा के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक हुए तीनों विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल चुनाव जीतते आ रहे हैं। कांग्रेस के लिए कोरबा अभेद किला बन गया है।
आरक्षण की बदली तस्वीर
परिसीमन से पहले जांजगीर-चांपा जिले की मालखरौदा अनुसूचित जाति के लिए व पामगढ़ सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। परिसीमन के बाद मालखरौदा सीट को विलोपित कर जैजैपुर बनाया गया है। जैजैपुर को सामान्य वर्ग के लिए और पामगढ़ को अजा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया।