CG Election 2023: इन सीटों पर क्षेत्रीय दल तय करते हैं कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार की जीत और हार का फैसला

HIGHLIGHTS

  1. चुनाव में क्षेत्रीय दलों की भूमिका तय करती है जीत
  2. बिलासपुर सहित इन जिलों में बसपा पर रहती है नजर
  3. कोरबा जिले में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पर रहती है नजर

Chhattisgarh Election 2023: छत्‍तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग की राजनीति में कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां क्षेत्रीय दल कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार की जीत और हार का फैसला करती है। संभाग के कुछ हिस्‍सों में बहुजन समाज पार्टी तो कुछ हिस्सों में और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं।

बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, मुंगेली व सारंगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्राें में बसपा और कोरबा जिले की सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पर सत्ताधारी व विपक्षी दल के रणनीतिकारों की नजरें लगी रहती है। राज्य गठन के बाद से अब तक हुए चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो दाेनों क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों को मिलने वाले वोट ही भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों के विधानसभा पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है।

कम वोटों का आंकड़ा कांग्रेस के लिए होता है वरदान साबित

मस्तूरी, बेलतरा व बिल्हा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी जीत और हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रही है। मस्तूरी विधानसभा के चुनाव परिणाम इस बात का गवाह है। जब-जब बसपा के उम्मीदवार 20 हजार वोट के आंकड़े को पार करता है, भाजपा की जीत तय हाे जाती है। कम वोटों का आंकड़ा कांग्रेस के लिए वरदान साबित होता है।

कमोबेश कुछ इसी तरह की स्थिति बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में भी है। काडर बेस पार्टी होने के कारण बिलासपुर संभाग में बसपा के प्रतिबद्ध मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। बिल्हा विधानसभा की भौगोलिक स्थिति जिले के अन्य विधानसभा से एकदम अलग है। मुंगेली जिले के अंतर्गत आने वाले पथरिया ब्लाक का एक बड़ा हिस्सा बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में शामिल है।

जांजगीर-चांपा जिले में अलग समीकरण

जांजगीर-चांपा जिले की राजनीतिक तासीर एकदम अलग है। जिले की छह विधानसभा सीटों पर बसपा का अच्छा खास प्रभाव नजर आता है। पामगढ़ और जैजैपुर में बसपा प्रभावी भूमिका में नजर आती है। वर्तमान में पामगढ़ से इंदू बंजारे विधायक है। जैजैपुर सीट बसपा के प्रभाव वाली मानी जाती है। अकलतरा, जांजगीर, सक्ती में इनके उम्मीदवार भाजपा व कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाते आए हैं।

बाहरी उम्मीदवार बना कारण

कांग्रेस की राजनीति में यह भी चर्चा में है कि पामगढ़ विधानसभा सीट से हर बार बाहरी को उम्मीदवार बनाया है। बाहरी को स्थानीय कार्यकर्ताओं के अलावा मतदाता भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। गोरेलाल बर्मन दो बार और शेषराज हरबंश को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था। तब बाहरी प्रत्याशी का आरोप लगा था।

मौजूदा चुनाव में ब्लाक के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने स्थानीय कार्यकर्ता को ही उम्मीदवार बनाने की मांग की है। पामगढ़ में कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी बाहरी प्रत्याशी से परेशान हैं तो भाजपा पदाधिकारियों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ रहा है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में चंद्रपुर सीट में उलटफेर हुआ। यहां से कांग्रेस के रामकुमार यादव चुनाव जीतने में सफल रहे। बसपा दूसरे नंबर पर रही।

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