मौसम में बदलाव का असर, वायरल फीवर के मरीज तेजी से बढ़े, एक्‍सपर्ट बोले- आयुर्वेदिक काढ़ा से बुखार से मिलेगा छुटकारा

रायपुर: डेंगू और वायरल फीवर के मरीजों के लिए आयुष और महासुदर्शन काढ़ा बहुत कारगर है। शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में सर्दी, जुकाम, बुखार और डेंगू आदि के रोगी पहुंच रहे हैं। मरीजों को इलाज के लिए काढ़ा पीने के लिए दिया जा रहा है।

शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय के डाक्टर रंजीप कुमार दास का कहना है कि सर्दी, जुकाम, बुखार और डेंगू आदि के रोग के रोजाना 50 से अधिक मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। इसमें आयुष काढ़ा और महासुदर्शन काढ़ा बहुत कारगर है।

इसके साथ-साथ आयुष- 64, सुदर्शन घन वटी, गिलोय घन वटी, संजीवनी वटी, त्रिभुवन कीर्ति रस, मृत्युंजय रस, विषम ज्वरांतक लौह, सर्वज्वरहर लौह आदि आयुर्वेदीय औषधि दिए जाते हैं। सर्दी-बुखार में नारदिय लक्ष्मीविलास रस, कफकेतु रस, सितोपलादी चूर्ण, तालीशादी चूर्ण, त्रिकटु चूर्ण, गोदंती भस्म आदि औषधि का उपयोग किए जाते हैं। घरेलू उपचार के लिए तुलसी पता, काली मिर्च, लौंग, अदरक, गिलोय आदि का काढ़ा बना कर पीने से यह मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है।

उन्होंने बताया कि तुलसी के 7-8 पत्ते और एक चम्मच लौंग पाउडर को एक लीटर पानी में उबाल लें। इस पानी को छानकर रख लें और दो-दो घंटे पर आधा कप पानी पीएं। इससे वायरल फीवर में आराम मिलेगा। ऐसे ही गिलोय को आयुर्वेद में एक असरदार औषधि माना गया है। यह वायरल बुखार और दर्द से राहत पहुंचाने का काम करता है। इसके लिए गिलोय का काढ़ा बना सकते हैं।

मौसम में लगातार हो रहे बदलाव के कारण एम्स, आंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल, स्वास्थ्य संस्थान और निजी अस्पतालों में वायरल फीवर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। आंबेडकर अस्पताल में रोजाना औसतन 450 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं, जिसमें से 30 प्रतिशत वायरल फीवर के शामिल हैं। इनमें बड़ों के साथ बच्चे भी शामिल हैं। वायरल फीवर के ठीक होने में भी सप्ताहभर का समय लग रहा है। संक्रमण भी तेजी से फैल रहा है। एक व्यक्ति को वायरल फीवर होने पर पूरा परिवार संक्रमित हो जा रहा है। कुछ मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है।

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