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Industrial Policy in CG: छत्‍तीसगढ़ में उद्योग लगाने के लिए निवेश क्षेत्र में जमीन आवंटन में लेटलतीफी, जानिए इसकी वजह

HIGHLIGHTS

  1. एमओयू को जमीन का इंतजार, कई स्थानों पर जनसुनवाई अटकी
  2. 150 एमओयू के तहत 30 हजार करोड़ का निवेश प्रस्तावित
  3. एमओयू को गति देने के लिए राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड जिम्‍मेदार

रायपुर। Industrial Policy in Chhattisgarh: छत्‍तीसगढ़ में भले ही नई औद्योगिक नीति 2019-2024 लागू हो चुकी है, लेकिन हजारों करोड़ के निवेश को अभी भी जमीन का इंतजार है। 2019 से लेकर 2023 तक किए गए अलग-अलग एमओयू के लिए अभी भी उद्योग घरानों को उनकी मांग के मुताबिक निवेश क्षेत्र में जमीन की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। उद्योग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अभी भी 150 एमओयू जिसमें 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित हैं, इसके लिए जमीन नहीं ढूंढी जा सकी है।

राज्य सरकार ने एमओयू को गति देने के लिए राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एसआइपीबी) को जिम्मेदारी दी है। यहां सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए उद्योगों के प्रस्तावों का त्वरित निराकरण भी करना है। बावजूद इसके जमीन के हस्तांतरण में लेटलतीफी का सामना करना पड़ रहा है।

स्टील, पावर, सोलर सेक्टर के उद्योगों के लिए कम से कम 50 से लेकर 500 एकड़ जमीन की आवश्यकता बताई गई है, लेकिन प्रदेश में नए औद्योगिक क्षेत्र का विकल्प नहीं मिलने और बस्तर जैसे आदिवासी अंचलों में जमीन आवंटन की पेचीदगियों की वजह से औद्योगिक घरानों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। राज्य औद्योगिक विकास निगम, उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एमओयू पर लगातार काम जारी है। आला अधिकारियों को लंबित मामलों के शीघ्र निराकरण के दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

इन उद्योग स्थापना के लिए एमओयू

रायपुर, दुर्ग, रायगढ़, बस्तर, बेमेतरा, बलौदाबाजार, महासमुंद, मुंगेली, तिल्दा, कोंडागांव,बिलासपुर, कांकेर, अभनपुर,जशपुर आदि।

इस क्षेत्र के लिए निवेश का प्रस्ताव

स्टील, पावर प्लांट, एकीकृत इस्पात संयंत्र, स्पंज आयरन, फार्मास्युटिकल्स उत्पाद, डीआरआई प्लांट, एथेनाल, केप्टिव पावर प्लांट, स्टील मेल्टिंग शाप, रोलिंग मिल, फेरो एलायज, आयरन ओर पैलेट, कोबाल्ट मेटल, पैलेट प्लांट, इंडक्शन फर्नेस, एब्सलूट एल्कोहल, बुलेट प्रुफ, फैब्रीकेटेड मेटल प्रोडक्ट, फूड प्रोसेसिंग प्लांट आदि।

इस पर काम होना बाकी

उद्योगों को छूट देने के लिए राज्य सरकार ने कई प्राविधान किए हैं, जिसमें सब्सिडी, बिजली अनुदान, जमीन का आवंटन, ब्याज अनुदान, बिजली छूट सहित अन्य प्रकरणों पर अभी भी प्रक्रिया लंबित है। उद्योग, सीएसआइडीसी, बिजली, राजस्व सहित में एनओसी के कई मामलों में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी है।

गांवों में रीपा में मिल रहा लोगों को रोजगार

उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार ने महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के जरिए राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कवायद शुरू की है। इसके अंतर्गत गोठानों में सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के जरिए महिला स्व-सहायता समूह आत्मनिर्भर हो रही है। राज्य सरकार ने इसके लिए विशेष तौर पर ग्रामीण औद्योगिक नीति लागू की है। रीपा के अंतर्गत ही गोबर से बिजली बनाने के लिए बेमेतरा और बस्तर यूनिट में काम प्रारंभ हो चुका है। इससे काफी लोगों को रोजगार मिल रहा है।

838 स्टार्टअप पंजीकृत

उद्योग विभाग के मुताबिक नवीन औद्योगिक नीति (2019-24) में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिए बनाई गई नीतियों की वजह से साढ़े चार वर्षों में 838 स्टार्ट-अप इकाइयां पंजीकृत हुई हैं। नवीन औद्योगिक नीति में पहली बार इनक्यूबेटर्स की स्थापना एवं संचालन के लिए अनुदान का प्रावधान किया गया है।

स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए इनक्यूबेटर्स की स्थापना के लिए किए गए व्यय का 40 प्रतिशत, अधिकतम 50 लाख रूपये और संचालन करने पर तीन वर्षों के लिए अधिकतम तीन लाख प्रतिवर्ष का संचालन अनुदान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्रोत्साहन के लिए ब्याज अनुदान में अधिकतम 70 प्रतिशत, 55 लाख रूपये की सीमा तक, अधिकतम 11 वर्षों के लिए दिया जा रहा है। स्थायी पूंजी निवेश में अनुदान अधिकतम 55 प्रतिशत है।

छत्तीसगढ़ रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय त्रिपाठी ने कहा, छत्तीसगढ़ में निवेश और उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार की औद्योगिक नीति में कई आकर्षक प्रावधान किए हैं, लेकिन उद्योगों को वर्तमान में जमीन की उपलब्धता नहीं होने की वजह से एमओयू का क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। हमारी मांग है कि लंबित फाइलों का शीघ्र निराकरण किया जाए।

उरला औद्योगिक संघ के अध्यक्ष अश्विन गर्ग ने कहा, बस्तर, महासमुंद, बलौदाबाजार, कोंडागांव, बिलासपुुर आदि क्षेत्रों में करोड़ों के निवेश प्रस्तावित हैं, लेेकिन जमीन आवंटन की प्रक्रिया में लेटलतीफी के चलते एमओयू का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जमीन आवंटन, सब्सिडी, एनओसी की प्रक्रिया तेज होने से प्रदेश में रोजगार की उपलब्धता बढ़ेगी।

फैक्ट फाइल

वर्ष- एमओयू से उद्योगों में प्रस्तावित रोजगार-रोजगार की वर्तमान स्थिति

2019-20- 3375- 315

2020-21-69251-3488

2021-22-34989-3197

2022-23-7690-35

2023-24-601- 150

कुल- 115906-7185

(नोट-उद्योग विभाग से एमिली जानकारी के मुताबिक आंकड़ें जून-2023 तक)

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