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शिक्षकों की पदस्थापना में खाली शहरी सीटें छिपाने का आरोप, कई टीचरों ने आवंटित स्‍कूलों में नहीं संभाला कार्यभार

HIGHLIGHTS

  1. पदोन्नति के बाद आवंटित स्कूलों में शिक्षकों ने अभी तक नहीं संभाला कार्यभार

रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में पिछले दिनों प्रदेश के सहायक शिक्षकों का पदोन्नति किया था। पदोन्नति के बाद मिले स्कूल पर अभी तक शिक्षकों ने कार्यभार नहीं संभाले हैं। शिक्षकों का आरोप है कि स्कूल शिक्षा विभाग नियमों को दरकिनार करते हुए मनमानी ढंग से शिक्षकों को स्कूल आवंटित किया है।

नियम के मुताबिक पदोन्नति के समय पहले ब्लाक, जिला या संभाग में क्रमश: खाली स्कूल आवंटित करना है, लेकिन शिक्षा विभाग ने पदोन्नति के बाद शिक्षकों को दो से ढाई सौ किलोमीटर दूर के स्कूलों को भी आवंटित कर दिया है।शहर और आसपास में खाली जगहों को काउंसिलिंग के समय छुपा लिया था। आसपास के स्कूलों में कोई पद खाली नहीं है।

हालांकि चर्चा है कि पदोन्नति और पदस्थापना में हुई गड़बड़ी के बाद लगभग चार हजार शिक्षकों के संशोधित पदस्थापना सूची को निरस्त कर दिया गया है। लेकिन अभी तक शिक्षा विभाग की तरफ से कोई भी आदेश जारी नहीं किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि सूची तैयार की जा रही है, जल्द ही सूची को जारी किया जाएगा।

12 अधिकारी-कर्मचारी हो चुके हैं निलंबित

शिक्षक पदोन्नति के बाद पदस्थापना में हुए भ्रष्टाचार के आरोप में विभाग ने अबतक 12 अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबित कर चुका है।आरोप है कि अधिकारियों ने पैसे का लेन-देन करके संशोधन किया है। रायपुर संभाग में 543, दुर्ग संभाग में 438, सरगुजा संभाग में 385 और बिलासपुर संभाग में 778 शिक्षकों की पदस्थापना के बाद संशोधन किया गया है।

प्राचार्य पदोन्नति के बाद भी हुए है संशोधन

शिक्षा विभाग में संशोधन के नाम पर पैसा और पावर का खेल पिछले दिनों से ही चल रहा है।प्राइमरी के हेडमास्टर का भी पोस्टिंग के बाद संशोधन डीईओ स्तर पर होता है। 150 प्राचार्य पदोन्नति के बाद 104 ने संशोधन करवाकर कार्यभार संभाला था।

डेढ़ से दो सौ किलोमीटर दूर मिले स्कूल

शिक्षकों ने बताया पदोन्नति के बाद डेढ़ से दो सौ किलोमीटर दूर के स्कूलों में नियुक्ति दी गई है, जबकि नियम के मुताबिक पहले ब्लाक में खाली स्कूलों को आवंटित करना है, ब्लाक में खाली नहीं होने की स्थिति में जिले और इसके संभागीय स्तर पर स्कूलों का आवंटन किया जाना है। लेकिन विभाग ने मनमानी करते हुए पदोन्नति के बाद शिक्षकों को स्कूलों का आवंटन मन हिसाब से किया है।

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