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Raipur News: एमबीबीएस सत्र 2023-24 का नया सिलेबस जारी, जानिए एनएमसी की नई गाइडलाइन

HIGHLIGHTS

  1. बड़े बदलावों के साथ एमबीबीएस सत्र का नया सिलेबस-करिकुलम जारी
  2. अब अब गैर चिकित्सकीय शिक्षक नहीं लेंगे एमबीबीएस विद्यार्थियों की परीक्षा
  3. महाविद्यालयों में गैर चिकित्सकीय शिक्षक किसी प्रशासनिक पद पर नहीं करेंगे कार्य

अभिषेक रायlरायपुर। Raipur News: नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने बड़े बदलावों के साथ एमबीबीएस सत्र 2023-24 का नया सिलेबस-करिकुलम जारी किया है। यह 1 अगस्त 2023 से लागू हो गया है। एनएमसी के नए नियमों के मुताबिक अब गैर चिकित्सकीय शिक्षक (एमएससी और पीएचडी) एमबीबीएस विद्यार्थियों की परीक्षा नहीं लेंगे। एमबीबीएस, एमडी-एमएस ही एग्जामिनर (परीक्षक) होंगे। साथ ही चिकित्सा महाविद्यालयों में गैर चिकित्सकीय शिक्षक किसी प्रशासनिक पद पर भी कार्य नहीं करेंगे। अधिष्ठाता और विभागाध्यक्ष के पद पर एमबीबीएस, एमडी-एमएस ही कार्य करेंगे।

एनएमसी ने चिकित्सा महाविद्यालयों में एनाटामी, फिजियोलाजी, बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलाजी, माइक्रोबायोलाजी जैसे विषयों में विशेषज्ञ चिकित्सा शिक्षकों की अनुपलब्धता की स्थिति में गैर चिकित्सकीय शिक्षकों की नियुक्ति की छूट पर भी अंकुश लगाया है। एनएमसी ने फार्माकोलाजी, माइक्रोबायोलाजी में गैर चिकित्सकीय शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है।

वहीं, एनाटामी, बायोकेमिस्ट्री और फिजियोलाजी में गैर चिकित्सकीय शिक्षकों की नियुक्ति 30 प्रतिशत तक की जा सकने वाली छूट को घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले एनाटामी, फिजियोलाजी, बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलाजी, माइक्रोबायोलाजी में विशेषज्ञ चिकित्सा शिक्षक कम थे, लेकिन वर्तमान में पर्याप्त हैं।

नए कालेजों के लिए अनिवार्यता समाप्त

एनएमसी ने नए कालेजों के लिए रेसपिरेट्री, इमरजेंसी और पीएमआर डिपार्टमेंट की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। रेसपिरेट्री मेडिसिन के फैकल्टी जनरल मेडिसिन में काउंट होंगे। पीएमआर को आर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में मर्ज कर दिया गया है।

अब सिर्फ क्लीनिकल सब्जेक्ट

एनएमसी ने अब चिकित्सा महाविद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले सब्जेक्ट को प्री क्लीनिकल, पैरा क्लीनिकल और क्लीनिकल में विभाजित न करते हुए सभी को क्लीनिकल सब्जेक्ट माना है। इससे अब छात्रों को फर्स्ट ईयर से ही क्लीनिकल बेस्ड एजुकेशन (प्रैक्टिकल) मिलेगा, जो बीते सत्र तक सेकंड ईयर से मिलता था। एमबीबीएस के छात्र अब शुरू से ही ओपीडी में मरीज का इलाज करेंगे।

आल इंडिया प्री एंड पैरा क्लीनिकल मेडिकोज एसोसिएशन के संयोजक डा. पीयूष भार्गव ने कहा, फार्माकोलाजी और माइक्रोबायोलाजी में गैर चिकित्सकीय शिक्षकों की नियुक्ति पर एनएमसी ने रोक लगाई है। साथ ही एनाटामी, बायोकेमिस्ट्री और फिजियोलाजी में इनकी नियुक्ति की छूट को 30 से घटाकर 15 प्रतशित कर दिया है। एनएमसी के सारे नियम चिकित्सा छात्र-छात्राओं के हित में हैं।

आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अशोक चंद्राकर ने कहा, एनएमसी की नई गाइडलाइन लागू हो चुकी है। छात्रों को गैर चिकित्सकीय शिक्षक पढ़ा सकेंगे, लेकिन एग्जामिनर नहीं होंगे। चिकित्सा महाविद्यालयों में पढ़ाए जाने सभी सब्जेक्ट को क्लीनिकल सब्जेक्ट माना गया है। अब फर्स्ट ईयर से ही छात्र ओपीडी में कार्य करेंगे। सभी कालेजों को संबंधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

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