कोरोना से ज्यादा खतरनाक है लीसा बुखार, चूहे बन रहे एक बार फिर से खतरा, जाने लक्षण और बचाव
बता दें कि पहली बार ये केस 1969 में आया था और इस बुखार का नाम लासा वायरस पर ही रखा गया है। डब्ल्यूएचओ ने लासा फीवर से होने वाली मौत का प्रतिशत केवल एक बताया है, लेकिन अगर इसे सयम रहते पहचान की जा सके तभी ये काबू में आता है।
प्रेग्नेंसी के 9वें महीने में ऐसे बुखार जानलेवा होते हैं। खास बात ये है कि इस बुखार के 80 प्रतिशत मामलों में इसके लक्षण ही नहीं दिखते, जिससे वायरस को पकड़ा जा सके। बुखार बढ़ने पर कडनी और लिवर पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ता है। हालांकि अपने देश में इस बुखार का कोई केस सामाने नहीं आया है।
जानिए कैसे फैलती है ये बीमारी
ये बीमारी चूहों से आती है। चूहों के मल-मूत्र अगर किसी खाने में हों, और उस खाने को खा लिया जाए तो ये बीमारी होती है। साथ ही चूहों के घर में रहने से यह संभावना तेजी से बढ़ती है। एक बार किसी को ये बुखार हो जाए तो उसके लार, आंख या नाक और मुंह से निकलने वाले लार से दूसरे व्यक्ति को भी ये बीमारी हो सकती है। इतना ही नहीं गले लगने या हाथ मिलाने से भी ये बीमारी फैल सकती है।
लासा फीवर के लक्षण
लासा बुखार से एक्सपोज होने के 2 से 3 हफ्ते बाद शरीर में लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि, हर 10 में से 8 लोगों को इसके कोई लक्षण नहीं आते।
माइल्ड लक्षण: बुखार, थकान, सिर दर्द, कमजोरी।
गंभीर लक्षण: उल्टी, चेहरे में सूजन, ब्लीडिंग, छाती, पीठ और पेट में दर्द और झटके आना।
अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, लासा बुखार का सबसे गंभीर कॉम्प्लिकेशन है बहरापन। तकरीबन एक तिहाई संक्रमित लोगों को कम से लेकर ज्यादा बहरापन होता है। कई मामलों में लोग हमेशा के लिए बहरे हो जाते हैं।
लासा फीवर का इलाज
समय पर लासा फीवर की जांच होने पर मौजूदा इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है। इस बीमारी के खिलाफ रिबावायरिन नाम की एक एंटीवायरल ड्रग इस्तेमाल की जाती है। CDC के अनुसार, लासा बुखार से बचने के लिए चूहों के संपर्क में आने से बचें। अपने घर में चूहों की एंट्री न होने दें।
इन देशों में बीमारी का खतरा
लाइबेरिया, बेनिन, घाना, टोगो, सिएरा लियोन और गिनी जैसे देशों में फैल गई थी। इन देशों में एंडेमिक स्टेज में ये बीमारी आ चुकी है। बता दें कि पश्चिम अफ्रीका में हर साल लासा बुखार के 1 से 3 लाख केस आते हैं, जिनमें से 5 हजार की मौत होती है।