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एम्स के डाक्टरों ने पुलिसकर्मियाें को CPR का दिया गया प्रशिक्षण, 250 से अधिक हुए शामिल

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में डाक्टरों और पुलिस की ओर से नेशनल बोन एंड ज्वाइंट डे के उपलक्ष्य में कार्यशाला लगाई गई। इसमें थाने, यातायात और डायल 112 के कर्मचारियों समेत 250 पुलिसकर्मियों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण के दौरान एम्स के डाक्टरों द्वारा बताया गया कि अचानक किसी का एक्सीडेंट होने, पानी मे डूबने अथवा हार्टअटैक आने और सांस रुक जाने पर आपातकालीन स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को सीपीआर देकर जान बचाई जा सकती है। अस्पताल पहुंचने के पहले मरीज को प्राथमिक चिकित्सा मिल जाए, तो उसकी जान बचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। राह चलते किसी के बेहोश होकर गिरने या एक्सीडेंट होने पर लोग सबसे पहले पुलिस को काल कर मदद मांगते हैं।

डाक्टरों का कहना है कि सीपीआर क्रिया करने में सबसे पहले पीड़ित को किसी ठोस जगह पर लिटा दिया जाता है। प्राथमिक इलाज देने वाला व्यक्ति पीड़ित के पास घुटनों के बल बैठ जाता है। इसके बाद उसकी उसकी नाक और गले की जांच कर सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को सांस लेने में कोई परेशानी तो नहीं हो रही है। यदि जीभ पलट गई है, तो उसे सही जगह पर उंगलियों के सहारे लाया जाता है। इसके बाद छाती को दबाने तथा मुंह से सांस दिया जाता है।

पहली प्रक्रिया में पीड़ित के सीने के बीचोबीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाया जाता है। एक से दो बार ऐसा करने से धड़कनें फिर से शुरू हो पाती हैं। पंपिग करने से भी सांस नहीं आती और धड़कनें शुरू नहीं होने पर मरीज को पंपिंग के साथ कृत्रिम सांस देने की कोशिश की जाती है। कार्यशाला में नगर पुलिस अधीक्षक आजाद चौक मयंक गुर्जर, थाना प्रभारी आमानाका संतराम सोनी, एम्स से सुरक्षा अधिकारी उपासना सिंह, डाक्टर आलोक अग्रवाल, डा अतुल जिन्दल, डा दिनेश त्रिपाठी आदि शामिल थे।

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