Raipur: पीएम फसल बीमा योजना के दायरे में कोदो, कुटकी और रागी भी, छत्तीसगढ़ में मिलेट हब को मिलेगा बल

छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर तीन हजार प्रति क्विंटल और रागी की खरीदी तीन हजार 377 रुपये प्रति क्विंटल तय है। बीते सीजन में भी किसानों ने समर्थन मूल्य पर 34 हज़ार 298 क्विंटल मिलेट्स 10 करोड़ 45 लाख रुपये में बेचा था।

रायपुर। Raipur News छत्तीसगढ़ में मोटा अनाज (मिलेट्स) की खेती कर रहे किसानों के लिए खुशखबरी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इस बार कोदो, कुटकी और रागी की फसलों का भी बीमा होगा। इसके लिए 16 अगस्त तक बीमा कराया जा सकेगा। भूपेश सरकार मिलेट्स की फसल ले रहे किसानों की तकदीर पहले से ही चमका रही है। यहां किसानों से समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी और रागी खरीदा जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी की खेती करने वाले अन्नदाताओं के खाते में 39.60 करोड़ का भुगतान किया है। किसानों से 13 हजार टन मिलेट की खरीदी की गई है। गौरतलब है कि अभी तक किसान मुख्य फसल धान सिंचित, धान असिंचित एवं अन्य फसलों में जैसे मक्का, सोयाबीन, अरहर, मूंग, उड़द की बीमा कराते थे। इस साल कोदो, कुटकी और रागी का बीमा करा सकते है। इसके लिए भारत सरकार ने निर्देश जारी किया है।

छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर तीन हजार प्रति क्विंटल और रागी की खरीदी तीन हजार 377 रुपये प्रति क्विंटल तय है। बीते सीजन में भी किसानों ने समर्थन मूल्य पर 34 हज़ार 298 क्विंटल मिलेट्स 10 करोड़ 45 लाख रुपये में बेचा था। इसका रकबा भी 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। मिलेट उत्पादक किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ भी दिया जा रहा है। इन किसानों को भी 9000 रुपये प्रति एकड़ की मान से आदान सहायता दी जा रही है।

यह है प्रीमियम और क्लेम की प्रक्रिया

खरीफ फसल के लिए बीमा राशि का दो प्रतिशत प्रीमियम के रूप में जमा करना होता है। क्लेम करने के लिए आवेदन में यह शर्त होती है कि फसल का नुकसान 33 प्रतिशत या उससे अधिक नुकसान होना चाहिए। भारी बारिश, सूखा, तूफान या किसी अन्य तरह की प्राकृतिक आपदा से फसलों के खराब होने पर वित्तीय नुकसानों से किसानों को बचाने के लिए यह योजना उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करती है। क्लेम लेने के लिए किसानों को सबसे पहले 72 घंटे के भीतर कृषि विभाग को फसल खराब होने की जानकारी देनी होती है।

इसके बाद आवेदन करना होता है। फार्म में फसल खराब होने का कारण, कौन-सी फसल बोई गई थी, कितने क्षेत्र में फसल बर्बाद हुई हैं, इन सब बातों का ब्यौरा देना होता है। उन्हें जमीन से संबंधित जानकारी भी देनी होती है। इसके आलवा, बीमा पालिसी की फोटोकापी की जरूरत होती है। आवेदन करने के कुछ दिनों के बाद बीमा कंपनी के प्रतिनिधि और कृषि विभाग के कर्मचारी खेत का निरीक्षण कर नुकसान का आकलन करते हैं और सब कुछ सही पाए जाने पर किसान के बैंक अकाउंट में बीमा का पूरा क्लेम डाल दिया जाता है।

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