माता सीता की इस बात के कारण हनुमान जी को चढ़ाते हैं सिंदूर, रामचरित मानस में है जिक्र

Bhagwan Hanuman भगवान हनुमान को सिंदूर और चोला चढ़ाते हैं तो आपको नीचे लिखे मंत्र का जाप भी करना चाहिए।

Bhagwan Hanuman। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित है। इस दिन बड़ी संख्या में भक्त अंजनीपुत्र का आशीर्वाद लेने हनुमान मंदिर पहुंचते हैं। साथ ही भगवान हनुमान को सिंदूर और चोला भी चढ़ाया जाता है। भगवान हनुमान को सिंदूर चढ़ाने का न सिर्फ धार्मिक महत्व है, बल्कि इसका वैज्ञानिक कारण भी है।

 

श्रीरामचरितमानस में है वर्णन

भगवान हनुमान को सिंदूर चढ़ाने की खास वजह श्रीरामचरितमानस में मां सीता और भगवान हनुमान के बीच हुए एक संवाद को माना जाता है। दरअसल, श्रीरामचरितमानस में वर्णन है कि रावण वध के बाद पुनः अयोध्या लौटने के बाद एक दिन मां सीता अपना श्रृंगार कर रही थीं। इस दौरान भगवान हनुमान ने देखा कि मां सीता अपनी मांग में लाल रंग का कोई द्रव्य सजा रही है, जिसके बाद हनुमान ने मां सीता से इसका नाम और इसे लगाने का कारण पूछा। मां सीता ने बताया कि यह सिंदूर है, जो कि सौभाग्य का प्रतीक है और इससे श्री राम की आयु लंबी होती है। भगवान राम को भी यह प्रिय है।

सिंदूर लगाकर दरबार पहुंचे हनुमान

मां सीता के यह कहने पर हनुमान ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया और श्रीराम के दरबार में पहुंच गए। दरअसल, हनुमान ने सोचा कि यदि सिर्फ मांग में सिंदूर लगाने से श्रीराम की आयु बढ़ती है तो पूरे शरीर में सिंदूर लगाने से श्रीराम की आयु और अधिक लंबी हो जाएगी और वे अमर हो जाएंगे। वहीं, दरबार में हनुमान को इस अवस्था में देख श्रीराम ने इसका कारण पूछा तो हनुमान ने श्रीराम को पूरा वृत्तांत सुना दिया। हनुमान की यह बातें सुन श्रीराम ने उन्हे हृदय से लगा लिया। मान्यता है कि इस संवाद के बाद से ही हनुमान को सिंदूर चढ़ाने की शुरुआत हो गई।

वैज्ञानिक कारण भी मौजूद

भगवान हनुमान को सिंदूर चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण भी है। कहा जाता है भगवान हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाने से प्रतिमा खंडित नहीं होती, बल्कि प्रतिमा का सिर्फ क्षरण होता है। इसके अलावा सिंदूर को ऊर्जा का स्रोत भी माना जाता है।

इस मंत्र का करें जाप

अगर आप भी भगवान हनुमान को सिंदूर और चोला चढ़ाते हैं तो आपको नीचे लिखे मंत्र का जाप भी करना चाहिए।

सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।

भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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