फूड इंस्पेक्टर की नौकरी लगाने के नाम पर युवक से 25 लाख की ठगी का मामला सामने आया
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH सरकंडा, पूरा मामला सरकंडा थाना क्षेत्र के राजकिशोर नगर का है। यहां देविका विहार निवासी स्टूडेंट चंद्र प्रकाश गुप्ता पिता जवाहर लाल गुप्ता जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। चंद्र प्रकाश गुप्ता ने साल 2022 में व्यावसायिक परीक्षा मंडल से आयोजित फूड इंस्पेक्टर एग्जाम के लिए फॉर्म जमा किया था। इसी दौरान चंद्र प्रकाश गुप्ता के पिता जवाहरलाल की पहचान अवंति विहार निवासी हेमंत पवार से हुई थी। बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी पर लगा देने दावा करने वाले हेमंत पवार ने चंद्रप्रकाश गुप्ता को भी फूड इंस्पेक्टर की नौकरी लगाने का वादा किया और 25 लाख रुपए में सौदा तय हुआ। ये मामला बिलासपुर में फूड इंस्पेक्टर की नौकरी लगाने के नाम पर युवक से 25 लाख की ठगी का मामला सामने आया है। यहां शातिर ठग ने युवक को नौकरी दिलाने के नाम पर 25 लाख रुपए की ठगी कर ली। ठग ने युवक को अपने झांसे में लेकर फर्जी वेबसाइट पर मेरिट सूची बनाई और स्पेशल कोटे से नौकरी पर लगा देना का दावा किया। जिसके बाद युवक ने रुपए दे दिए। जब रुपए देने के बाद भी नौकरी नहीं लगी तो परेशान होकर पीड़ित युवक ने पुलिस से मामले की शिकायत की। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है।
फूड इंस्पेक्टर भर्ती एग्जाम के दौरान हेमंत पवार बिलासपुर आया था, तब उसकी मुलाकात चंद्रप्रकाश और उसके पिता के साथ हुई। इस दौरान हेमंत ने उसे फूड इंस्पेक्टर की नौकरी को लेकर डेढ़ लाख रुपए एडवांस ले लिए, साथ ही बाकी के पैसे लिस्ट जारी होने और नियुक्ति आदेश के बाद देने की बात कही। इसके चलते चंद्रप्रकाश उसके भरोसे में आ गया। 8 अप्रैल 2022 को जब रिजल्ट जारी हुआ, तब मेरिट में उसका नाम नहीं था। इस पर चंद्रप्रकाश ने हेमंत को फोन किया, तब उसने बताया कि मेरा चयन स्पेशल अनुशंसा पर हो रहा है। उसने दावा किया कि उसका स्कोर कार्ड बदल जाएगा और सूची में उसका नाम आ जाएगा। इस दौरान उसने एक लिंक भेजा और बताया कि कुछ दिन में उसका नाम दिख जाएगा। इसके बाद चंद्रप्रकाश ने रिजल्ट देखा तो तो उसका नाम ओवर ऑल कैटेगरी में रैंक 72 दिखाया। फिर हेमंत ने बाकी के रुपए मांगे जिस पर उसने किस्तों में 25 लाख रुपए दे दिए। 25 लाख रुपए देने के बाद एग्जाम देने वाले स्टूडेंट ने नागरिक आपूर्ति विभाग से जानकारी जुटाई तो पता चला कि चयन सूची में उसका नाम ही नहीं है। इसके बाद हेमंत पवार द्वारा दिए गए दस्तावेज दिखाए तब वह फर्जी होने की जानकारी मिली। दरअसल, हेमंत ने फर्जी वेबसाइट व नागरिक आपूर्ति विभाग के नाम से फर्जी लेटर बनाया था। इसके बाद उसने हेमंत से पैसों की मांग की।