छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग का स्थापना दिवस : अध्यक्ष डॉ. नायक ने बतायी उपलब्धियां और भावी योजनाएं

महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न को रोकने होगी कड़ाई

रायपुर, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के 24 मार्च को स्थापना दिवस के अवसर पर अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने रायपुर के शास्त्री चौक स्थित राज्य कार्यालय में आयोग की उपलब्धियों और आगामी योजनाओं पर चर्चा की।
डॉ. नायक ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में छत्तीसगढ़ महिला आयोग पूरे देश में अव्वल रहा। अभी तक राज्य के उत्तरी से दक्षिणी छोर तक दो बार सभी जिलों का दौरा कर सुनवाई की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि ओड़ीसा, हिमाचल, पंजाब और हरियाणा राज्य का दौरा कर वहां के महिला आयोग की कार्यप्रणाली को भी जानने का प्रयास किया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देशानुसार राज्य आयोग ने प्रदेश के कई जिलों के महिलाओं को उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक करने के लिए छः वेबिनॉर आयोजित किए।
श्रीमती नायक ने बताया कि छत्तीसगढ़ में राज्य महिला आयोग की स्थापना 24 मार्च 2001 को हुई थी। विगत 21 वर्षों से आयोग छत्तीसगढ़ में महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिये निरंतर कार्यरत है। छत्तीसगढ़ में 2018 में नई सरकार के गठन के बाद से महिलाओं की समस्याओं के समाधान में काफी तेजी आई है। लॉकडाउन में भी पीडित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की तारीफ करते हुए सम्मानित किया है।
उन्होंने बताया कि महिलाओं की समस्या के लिये शहर के सहज और सुगम हृदय स्थल पर कार्यालय 1 मार्च 2021 को स्थानांतरित कर शासन के छः लाख रूपये प्रतिवर्ष का बचत किया। 8 मार्च 2021  को व्हाट्सएप कॉल सेंटर का गठन कर महिलाओं को व्हाट्सएप नम्बर 9098382225 पर शिकायत की सुविधा दी गयी। इसमें अब तक 2000 से अधिक कॉल आ चुके है, इस पर आवश्यकतानुसार सुझाव, मार्गदर्शन और निराकरण किया गया है। इसके साथ ही महिलाओं के विरूद्ध साइबर अपराध रोकने और उनकी डिजिटल अवेयरनेस को बढ़ाया जा रहा है।
एक अप्रैल 2021 से दूसरे वर्ष का कार्यकाल प्रारंभ हुआ इस बीच अगस्त 2021 में महिला आयोग में 4 सदस्यों की नियुक्ति पश्चात आयोग के कार्यों में और गति आयी। अप्रैल, मई, जून में कोविड लॉकडाउन में कोई भी सुनवाई नहीं हो पाई। जनवरी, फरवरी में लगभग 2 महीने में सुनवाई नहीं हो पाई। जनवरी 2022 में कुल 105 दिन जनसुनवाई किया गया। जिसमें अकेले रायपुर में 32 दिन जनसुनवाईयां हुई रायपुर जनसुनवाई में कुल 667 प्रकरणों की सुनवाई की गयी और 142 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गये। इनके अतिरिक्त शेष अन्य जिलों में कुल 73 दिन जनसुनवाई की गई तथा मेरे कार्यकाल में कुल 2204 प्रकरणों की सुनवाई की गई जिनमें 674 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। राज्य सरकार के 2 वर्ष पूर्ण होने पर विगत 17 दिसम्बर को आयोग द्वारा महिलाओं की ओर से 9100 वर्ग फुट की विशाल रंगोली बनाकर गोल्डन वर्ल्ड ऑफ बुक रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है।

छत्तीसगढ़ की प्रत्येक महिला तक पहुंचेगा मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ

छत्तीसगढ राज्य सरकार ने महतारी न्याय रथ के लिये डीएमएफ फंड से राशि स्वीकृत कर सीधे आयोग के फंड मे दिया जा रहा है। जिसमें अभी दुर्ग और कांकेर जिले से 15 लाख रूपये की राशि आ चुकी है। अप्रैल 2022 से चालू होने वाले वित्तीय वर्ष में प्रत्येक महिला तक पहुंच के लिए जिलों में ‘‘मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ‘‘ निकाला जायेगा। महतारी न्याय रथ के माध्यम से महिलाओं की हर तरह की समस्याओं के निराकरण का प्रयास किया जायेगा, साथ ही महिलाओं की समस्याओं, कानूनी अधिकारों से संबंधित विषयों पर वीडियो, ऑडियो क्लीपिंग के माध्यम से प्रचार-प्रसार किये जाने की योजना है। महिला अधिवक्ताओं को इम्पैनल किया जायेगा जो कि हर जिलों में महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिये उन्हें आयोग द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा। साथ ही सखी वन स्टॉप सेंटर के काउंसलर और अन्य स्टाफ, नवा बिहान के संरक्षण अधिकारीगणों को कानूनी जानकारी के लिये और महिलाओं के समस्याओं के समाधान के त्वरित जांच के लिये भी प्रशिक्षण दिया जायेगा।

महिलाओं और बालिकाओं को सिखाए जाएंगे आत्मरक्षा के गुण

महिलाओं और बालिकाओं को आत्मरक्षा में प्रशिक्षित करने की दिशा में भी आयोग एक विस्तृत कार्य योजना तैयार कर रही है, जिससे पूरे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में आंगनबाड़ी, मितानिन, स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों, कामकाजी महिलाओं और घरेलू महिलाओं के समूहों को भी स्वयं की आत्मरक्षा हेतु पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस तरह महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा कर उन्हें कानूनी जानकारियों और आत्मरक्षा दोनों ही क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जायेगा।

महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न को रोकने होगी कड़ाई

छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय, निजी संस्थान एवं उद्योगों में महिलाओं के कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न को रोके जाने बाबत् आंतरिक परिवाद समिति का कड़ाई से लागू किया जायेगा और महिलाओं के मामले पुलिस थाने में दर्ज किये जाने बाबत् महिला पुलिस डेस्क की अनिवार्यता की दिशा में भी प्रयास किया जायेगा।

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