जनजातीय समाज की वाचिक परंपरा का अभिलेखीकरण भावी पीढ़ियों के लिए बनेगा पथ-प्रदर्शक : डॉ. संध्या भोई

जनजातीय तीज-त्यौहार / जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) एवं जनजातीय समुदाय

की उत्पत्ति पर हुआ वाचिक ज्ञान

आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं राज्य शासन के सहयोग से TRTI संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय “जनजातीय वाचिकोत्सव 2023 के दूसरे दिन आज तीन विषयों जनजातीय तीज-त्यौहार से संबंधित वाचिक शान, जनजातीय जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) संबंधी वाचिक परम्परा तथा जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी वाचिक परंपरा विषय पर जनजातीय वाचन किया गया।

आज के प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. वेदवती मण्डावी. से.नि. प्राध्यापक,

दुर्ग ने की इस सत्र में कुल 25 जनजातीय याचकों ने जनजातीय तीज-त्यौहार से संबंधित वाचिक ज्ञान पर अपना ज्ञान साझा किया। जनजातीय समाज में मनाए जाने वाले विभिन्न तीज-त्यौहारों की उत्पति के संबंध में अपने वाधिक ज्ञान को साझा करने के साथ-साथ जनजातीय समाज को सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था में इनके महत्व पर भी इन्होंने प्रकाश डाला।

आज के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. किरण नुरुटी, सहायक प्राध्यापक, कोंडागावं एवं सह अध्यक्षता डॉ. संध्या मोई सहायक प्राध्यापक सरायपाली ने की। इस अवसर पर बालते हुए डॉ. संध्या मोई ने कहा कि जनजातीय वाचन परंपरा का अभिलेखीकरण आने वाली पीढ़ियों के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करेगा। इस सत्र में कुल 22 जनजातीय वाचकों ने जनजातीय जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) संबंधी वाचिक परम्परा के संबंध में याचिक ज्ञान साझा किया गया जीवन संस्कार अंतर्गत बोड कुदराना (नाल काटना), पोईंग ऐराना (प्रसव होना) चूरचा नियम (विवाह संस्कार) बीड़ा, बाढील चावील तपराना, चूरचेल पारेकर (विवाह के प्रकार) रोगल आदि विषय पर विस्तार से अपने वाचिक ज्ञान को साझा किया।

तृतीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. महेन्द्र कुमार मिश्रा, लोक साहित्य विशेषज्ञ, रायपुर ने की। इस सत्र में कुल 27 जनजातीय वाचकों ने जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी धारणा एवं वाचिक ज्ञान विषय पर जनजातीय वाचन किया। जनजातीय समाज की उत्पति के संबंध में समाज में प्रचलित विभिन्न पूर्वज धारणाओं को, जो उन्होंने उनसे सुना है, की वाचिक ज्ञान के रूप में सबके साथ साझा किया।

उल्लेखनीय है कि आदिवासी जीवन से संबंधित वाचिक परंपरा के संरक्षण, संवर्द्धन एवं उनके अभिलेखीकरण के उददेश्य से TRTI भवन नया रायपुर में इस जनजातीय वाचिकोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का कल 27 मई को समापन होना है। उक्त तीन दिवसीय आयोजन के उपरांत संस्थान द्वारा जनजातीय वाचिक परंपरा के संरक्षण एवं अभिलेखीकरण के दृष्टिगत पुस्तक का प्रकाशन भी किया जाएगा, जिसमें कार्यक्रम में प्रस्तुत किए गए विषयों के साथ-साथ राज्य के अन्य जनजातीय समुदाय के व्यक्तियों से भी जनजातीय वाचिक परंपरा से क्षेत्र में प्रकाशन हेतु आलेख आमंत्रित किए गए हैं।

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