गौमाता के नाम पर सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करती है भाजपा
रमन सरकार के 15 साल के कार्यकाल में गौमाता की सेवा से नहीं रहा सरोकार- चंद्राकर
भाजपाईयों के आरोपों को संसदीय सचिव ने किया सिरे से खारिज
महासमुंद। संसदीय सचिव व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने गौठानों को लेकर भाजपा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भाजपा सिर्फ गौमाता के नाम पर वोट लेने का काम किया है। जबकि भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना की पूरे देशभर में सराहना की जा रही है। और तो और संसद की स्थाई कृषि समिति ने छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना की तारीफ करने के साथ ही इसे पूरे देश में लागू करने की सिफारिश की है।
संसदीय सचिव व विधायक श्री चंद्राकर ने भाजपाईयों के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा गौमाता के नाम पर सिर्फ पाखंड की राजनीति की है। रमन सरकार के 15 साल के कार्यकाल में गाय की सेवा से कोई मतलब नहीं रहा और गौशाला भाजपा के लिए कमाई का जरिया रहा।
गौशाला के नाम पर रमन सरकार के कार्यकाल में जमकर कमीशनखोरी हुई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना देश-दुनिया में सराहना की जा रही है। संसद की स्थाई कृषि समिति ने छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना की तारीफ करने के साथ ही इसे पूरे देश में लागू करने की सिफारिश की है। देश के कृषि क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को एक सफल और मजबूत योजना के रूप में सराहा जा रहा है।
गांव-गांव में की जा रही गोबर खरीदी और जैविक खाद के सतत निर्माण एवं उपयोग से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। संसदीय सचिव श्री चंद्राकर ने कहा कि अब तक महासमुंद ज़िले में सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत 561 गौठानों से गोबर खरीदी कर करीब 11 करोड़ 89 लाख 17 हज़ार 239 रूपए का भुगतान किया जा चुका हैं। भूमिहीन परिवार के लोग भी गौठानों में गोबर की बिक्री और रोजगार हासिल कर अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हुए हैं। गौठानों से ग्रामीणों को न केवल रोजगार मिल रहा है बल्कि अतिरिक्त आय भी हो रही है। भूपेश सरकार द्वारा गौठानों के माध्यम से सेवा की जा रही है तो भाजपाईयों के पेट में दर्द हो रहा है और इसमें भी राजनीति रोटी सेंकने से गुरेज नहीं कर रही है। जबकि रमन सरकार के 15 साल के कार्यकाल में गौशाला के नाम पर भाजपा नेताओं ने जमकर भ्रष्टाचार कर अनुदान की राशि हड़पी है। भाजपा नेताओं को उक्त कार्यकाल में गौशालाओं को दिए गए फंड व जमीन का ऑडिट करने की मांग करनी चाहिए।