पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के अल्पसंख्यक शाखा प्रमुख और नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य जय प्रकाश ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के अल्पसंख्यक शाखा प्रमुख और नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य जय प्रकाश ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की है. उन्होंने नौ मई को देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई हिंसा और सेना इमारतों को निशाना बनाए जाने को अपने इस निर्णय की वजह बताया है.
शुक्रवार को कराची प्रेस क्लब में उन्होंने रोते होते हुए पार्टी छोड़ने की घोषणा की थी. जय प्रकाश ने कहा कि उन्होंने पंजाब, ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह, सिंध और बलूचिस्तान में पार्टी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी.
जय प्रकाश ने कहा कि वह नौ मई को कराची में मौजूद थे. उस समय शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था लेकिन बाद में ये हिंसक हो गया और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले हुए. लाहौर में जिन्ना हाउस को निशाना बनाया गया. हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस में जय प्रकाश ने इमरान ख़ान की आलोचना नहीं की. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वो कौन लोग थे और ये भी नहीं मालूम कि ये लोग पीटीआई से जुड़े हुए थे. इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए और जो भी इसके जिम्मेदार हों उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.
जय प्रकाश ने कहा कि उनका मानना है कि सेना की वजह से ही पाकिस्तान चल रहा है और ऐसा कोई माहौल नहीं बनाया जाना चाहिए जिससे पाकिस्तान को नुकसान पहुंचे. उन्होंने कहा कि वह बिना किसी दबाव के पार्टी छोड़ रहे हैं. असेंबली के अल्पसंख्यक सदस्य लाल माल्ही ने एक ट्वीट में कहा कि उनके पार्टी छोड़ने का एलान पार्टी से मोहब्बत का एलान बन गया. जय के हर आंसू यह बता रहे हैं कि इमरान ख़ान को लोगों के दिलों से जुदा करना असंभव है.
जय प्रकाश अकेले नेता नहीं हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ी है. पीटीआई छोड़ने वालों की सूची में पूर्व फ़ेडरल मंत्री आमिर महमूद कियानी भी शामिल हैं, जो पीटीआई प्रमुख इमरान ख़ान के क़रीबी माने जाते थे. पीटीआई छोड़ने वाले प्रमुख नेताओं में केपी मोहम्मद इकबाल वज़ीर, जलवायु परिवर्तन पर पीएम के पूर्व सलाहकार मलिक अमीन असलम और मोबीन ख़िलजी हैं.
पाकिस्तान में इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद नौ मई को उनके समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा था. कई शहरों में उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए थे. इन समर्थकों का गुस्सा ख़ास तौर से पाकिस्तानी सेना पर उतरा था. गुस्साई भीड़ ने लाहौर में कोर कमांडर के घर पर धावा बोल दिया था. लाहौर के अलावा रावलपिंडी में सेना के जनरल हेडक्वॉर्टर में लोग घुस गए थे.