Mission 2024: जानिए INDIA नाम चुने जाने के पीछे की पूरी कहानी, कांग्रेस ने क्यों UPA को तिलांजलि देने में ही समझी भलाई
नई दिल्ली (INDIA vs NDA): बेंगलुरु में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में UPA (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) का नाम बदलकर इंडिया (INDIA या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) करने का फैसला हुआ। इसका मतलब यह हुआ कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok sabha Chunav 2024) में अब मुकाबला INDIA vs NDA के बीच होगा।
INDIA vs NDA: अब राष्ट्रवाद की पिच पर सियासी जंग
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवाद की सियासत का दांव थामने को कांग्रेस ने INDIA गठबंधन की पताका थामने के लिए UPA का राजनीतिक पर्दा गिराने में तनिक भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई।
विपक्षी दलों के सियासी प्लेटफॉर्म को इंडिया नाम देने का राहुल गांधी का बेंगलुरु बैठक में दिया गया सुझाव इस बात का संकेत है कि कांग्रेस भी इस निष्कर्ष पर पहुंच गई थी कि चुनावों को लगातार राष्ट्रवाद की पिच पर ले जा रही भाजपा की चुनौतियों का मुकाबला करने में UPA अपने मौजूदा स्वरूप में प्रासंगिक नहीं रह गया है।
INDIA पर कांग्रेस ने देर नहीं की, दूसरों को भी मनाया
बेंगलुरु की बैठक में विपक्ष के गठबंधन का नाम तय करने पर हुई पहली ही चर्चा में यूपीए की जगह इंडिया नाम पर हामी भरने में कांग्रेस ने देर नहीं लगाई। जो दल पूरी तरह सहमत नहीं थे, उनके नेताओं की आपत्तियों को दूर करने के लिए राहुल गांधी ने अपने तर्क रखे।
कहानी UPA की, ऐसे अस्तित्व में आया था
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- यूपीए का राजनीतिक अस्तित्व 2004 के चुनाव के बाद सामने आया, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए लोकसभा चुनाव हार गई।
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- कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वामपंथी दलों के साथ भाजपा की वैचारिक खिलाफत करने वाले दलों के साथ मिलकर संप्रग (यूपीए) का गठन किया।
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- संप्रग के गठन और साझा न्यूनतम कार्यक्रम के साथ कांग्रेस की अगुवाई में सरकार बनी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने।
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- संप्रग ने अपने कामकाज के बूते 2009 के चुनाव में जीत हासिल कर दूसरी बार सरकार बनाई।
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- 2014 के चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग को हार का सामना करना पड़ा और 2019 के चुनाव में उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।