जिला योजना एवं निगरानी समिति की बैठक में आदिवासी बाहुल्य गांवों के विकास पर हुई चर्चा
जगदलपुर, जिला योजना एवं निगरानी समिति की बैठक आज कलेक्टोरेट के प्रेरणा कक्ष में आयोजित की गई। बैठक में आदिवासी बाहुल्य गांवों के विकास पर चर्चा की गई। बैठक मंे बताया गया कि 50 फीसदी से अधिक आदिवासी आबादी वाले गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, मूलभूत सुविधाएं, आयमूलक योजनाएं तथा आवश्यक अधोसंरचनाओं के निर्माण के साथ आगामी पांच सालों में आदर्श ग्राम के रुप में विकसित किया जाएगा। शासन द्वारा बस्तर जिले के ऐसे 302 गांवों का चयन किया गया है। इनमें प्रथम चरण में जिले के 51 गांवों का चयन किया गया है, जिनमें दो गांव अब सुकमा जिले में स्थित हैं। शेष 49 गांवों को आदर्श ग्राम बनाए जाने पर चर्चा की गई।
इस दौरान बताया गया कि बस्तर जिला आकांक्षी जिला होने के कारण पहले चरण में दस से बारह और ग्राम पंचायतों का चयन आदर्श ग्राम बनाने के लिए कर सकता है। इस दौरान दरभा, लोहण्डीगुड़ा, बास्तानार के दुर्गम ग्रामों का चयन इस योजना के तहत प्राथमिकता के आधार पर करने का निर्णय लिया गया। वन ग्रामों से राजस्व ग्रामों में परिवर्तित ग्रामों में विकास कार्य को गति देने के लिए भी इस योजना के तहत चयनित करने की बात कही गई। इसके साथ ही अन्य विभागों के अनुभवों के आधार पर भी इस योजना के तहत अन्य ग्रामों के विकास में प्राथमिकता दिए जाने की बात कही गई।
इसके तहत गांवों में स्वास्थ्य एवं पोषण, पेयजल एवं स्वच्छता, शिक्षा, आवास, रोजगार, विद्युत, सड़क, दूरसंचार, कौशल विकास, बाजार, वित्तीय समावेशन, सामाजिक सुरक्षा, डिजीटलीकरण आदि में ग्रामों की स्थिति को सुदृढ़ करने पर जोर दिया जाएगा। बैठक में अपर कलेक्टर श्री अरविंद एक्का, आदिवासी विकास विभाग के उपायुक्त श्री विवेक दलेला सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।