Ram Navami पर मां कौशिल्या मंदिर में भक्तों की भीड़ VIDEO : ग्रामीणों ने चंदा कर बनवाया मंदिर, जानिए प्रभु राम के ननिहाल का इतिहास…

रायपुर. रामनवमी पर भगवान राम के ननिहाल और मां कौशिल्या मंदिर चंदखुरी धाम में सुबह से ही भक्तों की भीड़ है. इस प्राचीन मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. नवरात्रि में यहां हजारों ज्योति कलश की स्थापना की गई थी और आज रामनवमी के अवसर पर भगवान राम का विशेष जन्मोत्सव मनाया जाएगा.

मंदिर के पुजारी संतोष कुमार शर्मा बताते हैं कि मां कौशल्या का प्राकट्य प्राचीन काल से था. मूल मंदिर का ढांचा टूटने के कारण यह मंदिर सम्वत 1963 में गांव के लोगों के चंदा से बनाया गया. गांव वैध चंदखुरी का यह मंदिर नारायण स्वामी के पुत्र, मनीराम स्वामी व सीताराम स्वामी मालगुजार के समय बनाया गया है.

चंदखुरी मां कौशल्या का जन्म भूमि है. इसे भगवान राम का ननिहाल माना जाता है. यहीं से प्रथा चली है छत्तीसगढ़ की बेटी मां कौशल्या के नाम से तीज त्योहार मनाने का. श्रीरामचन्द्र का ननिहाल होने के कारण और भी ज्यादा लोग यहां दूर-दूर से पहुंचते हैं- मान्यता है कि यहां लोग अपनी मनोकामना माता को सुनाते हैं और पूरी भी होती है.

पंडित संतोष कुमार शर्मा ने इतिहास बताते हुए बताया कि भानुमंत राजा के पिता का यह राज्य था. माता कौशल्या को उपहार स्वरूप इस गांव को दिया गया था. मां कौशल्या यहां पर आकर विराजमान हो गई. मंदिर का निर्माण आदिकाल से है. सन सवंत 1973 के आसपास में मंदिर का निर्माण पुनः कराया गया, पहले से मंदिर का ढांचा था. आसपास तालाब हुआ करता था. बीच में एक पेड़ हुआ करता था, जिसमें माता का छोटा सा मंदिर था मंदिर का ढांचा था, लेकिन वह क्षतिग्रस्त हो चुका था. गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा किया और सन 1973 में पुनः इसका निर्माण करवाया.

भगवान राम को अपने गोद में लिए हुए हैं माता कौशल्या

मूर्ति में माता कौशल्या भगवान राम को अपने गोद में लिए हुए हैं. वैसा ही आज भी उसे सुसज्जित कर दिया गया है. पंडित संतोष बताते हैं कि भगवान रामचंद्र चंदखुरी कभी नहीं आये थे, उनका मामा गांव था, लेकिन कभी नहीं आए थे, बल्कि वे दक्षिण क्षेत्र में थे. उनका अधिकांश समय छत्तीसगढ़ के दण्डकारण्य में बिता. अपने वनवास काल के 10 वर्ष तक दंडकारण्य में बिताए, क्योंकि वनवासियों के उद्धार के लिए भक्त भगवान बनकर अवतरित हुए हैं.

माता कौशल्या साक्षात दे चुकी है दर्शन : ग्रामीण

विप्र, धेनु, संत और समाज के लिए भगवान ने यहां अवतार लेकर सबके हित के लिए अवतरित हुए. उन्होंने देखा कि सबसे ज्यादा पीड़ित कौन है, जिसको देखकर भगवान 14 वर्ष का वनवास की योजना बनाए. 14 वर्ष के वनवास में 10 से 12 वर्ष यहां छत्तीसगढ़ में रहे हैं. चंदखुरी गांव में पहले प्रभातफेरी निकालने वाले ग्रामीण बताते हैं कि माता कौशल्या उन्हें साक्षात दर्शन दे चुकी है.

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