चुनावी रण में जामवाल, कार्यकर्ताओं को उत्साह का बूस्टर डोज

रायपुर । छत्तीसगढ़ में भाजपा के चुनावी रथ की रफ्तार बढ़ती नजर आ रही है। स्वयं क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल सारथी बने हुए हैं। जामवाल प्रदेश्ा की सभी विधानसभा सीटों का स्वयं बारीकी से परीक्षण कर रहे हंै। अभी तक उन्होंने 25 से अधिक विधानसभा में अपनी उपस्थ्ािति दर्ज करा ली है। वह क्षेत्रवार कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों की नाराजगी की वजहों का फीडबैक ले रहे हैं।

पार्टी सूत्रों की मानें उनका सबसे ज्यादा फोकस उन सीटों पर है, जहां पर क्षेत्रीय समीकरण भाजपा के लिए पिछले चार वर्ष के बाद भी अनुकूल नहीं है। भाजपा की अंदरूनी सर्वे रिपोर्ट में ऐसे विधानसभा क्षेत्रों को लाल घेरे में रखा गया है, जहां जीत की संभावना बेहद कम महसूस की जा रही है।

इन जगहों पर जामवाल अपने फार्मूले का इस्तेमाल करके जीत की राह सुनिश्चित करने को मश्ाक्कत में लगे हुए है। जामवाल कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर उत्साह का बूस्टर डोज दे रहे हैं। ताकि चुनावी वर्ष में कार्यकर्ताओं की मदद से पार्टी पर उठने वाली उंगलियों को नीचे किया जा सके।

वर्ष 2018 में सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा एक फिर सत्ता वापसी के लिए जूझ रही है। शीर्ष नेतृत्व ने क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वह सत्ता वापसी के लिए रणनीति है। वह अब तक रायपुर, सरगुजा, बिलासपुर संभाग के बाद बस्तर का दौरा कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला निवासी जामवाल पूर्वोत्तर के बाद अब छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश में भी भाजपा की जड़ें मजबूत करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पूर्वोत्तर में भी उनके पास क्षेत्रीय संगठन मंत्री का दायित्व था और वहां भी उन्होंने अपने फार्मूले से जीत दिलाई थी। मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता में है जबकि छत्तीसगढ़ में सत्ता से बाहर। ऐसे में छत्तीसगढ़ उनकी प्राथमिकता में है।

पिछली खामियां की न हो पुनरावृत्ति

जामवाल जहां-जहां जा रहे हैं वहां वह जिला, मंडल के पदाधिकारियों व मोर्चा-प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों से सीधे संवाद कर रहे हैं। विधानसभा क्षेत्रों की छोटी-छोटी बैठकों में एक-एक कार्यकर्ता से सीधे बात कर रहे हैं। अपना संपर्क नंबर दे रहे हैं और कह रहे हैं कि यदि किसी भी तरह की बात हो तो मुझे सीधे बता सकते हैं। जामवाल का फार्मूला यही है कि चुनाव के लिए हमारे पास कुछ ही महीने श्ोष हैं इसलिए अब हर कार्यकर्ता अपने गांव के अलावा पड़ोसी गांवों तक संपर्क को बढ़ाएं। हर क्षेत्र में कम से कम तीन दिन गुजार रहे हैं और सारी चीजों की निगरानी भी खुद कर रहे हैं। जिले, मंडल और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के घर में ही भोजन भी कर रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button