मनरेगा से श्रीमती बारात बाई की बंजर भूमि को मिला नया जीवन
डबरी में मछली पालन कर कमा रहीं मुनाफा
आर्थिक मजबूती से बढ़ा आत्मविश्वास
बिलासपुर, कोटा ब्लॉक के छोटे से गांव बारीडीह की श्रीमती बारात बाई गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। आर्थिक रूप से मजबूत होकर परिवार की जिम्मेदारियां बखूबी निभा रही है। उनकी सफलता में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना की महती भूमिका है। इस योजना से उनके खेत में डबरी निर्माण का कार्य हुआ है। डबरी में मछली पालन से उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो रही है, जिससे परिवार की जरूरतें आसानी से पूरी हो जा रही है।
श्रीमती बारात बाई ने बताया कि एक बंजर भूमि के लिए पानी अमृत के समान होता है। गांवों के अधिकांश ग्रामीण सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर ही निर्भर रहते है। राज्य सरकार द्वारा मनरेगा के तहत किसानों के भूमि पर डबरी निर्माण करके जल संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर जन-जीवन में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भूमि के नाम पर बंजर जमीन थी, जिस पर खेती करना, रेत से पानी निकालने के समान था। खेती के लिए केवल भूमि ही जरूरी नहीं होता। इसके साथ फसल उत्पादन के लिए भूमि उपजाऊ भी होनी आवश्यक है। खाली पड़ी बंजर जमीन का हमारे लिए कोई उपयोग नहीं था। बंजर भूमि के कारण आर्थिक स्थिति में सुधार का विकल्प भी नहीं था। वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा के तहत उनकी बंजर भूमि पर डबरी निर्माण का कार्य स्वीकृत हुआ। डबरी बन जाने से उनके जीवन में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी। उन्होंने इस मौके को अपनी सफलता की दिशा की ओर मोड़ते हुए डबरी में मछली पालन का कार्य शुरू किया। उन्होंने बताया कि डबरी निर्माण से उन्हें आय का स्त्रोत तो मिला हीं साथ ही उनकी शेष बंजर भूमि भी डबरी निर्माण से उपजाऊ हो रही है। जिस पर उन्होंने फसल भी लगाना प्रारंभ कर दिया है। अब उनकी आर्थिक स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है। श्रीमती बारात बाई ने अपनी सफलता का श्रेय शासन की मनरेगा योजना को देते हुए बताया कि योजना से उनकी बंजर भूमि को अब नया जीवन मिल गया है।