छत्तीसगढ़ी की प्राचीन संस्कृति विलुप्त न हो इसलिए गहना धरोहर दिवस मानने का संकल्प
रायपुर. छत्तीसगढ़ की संस्कृति में गहनों का विशेष महत्व है इन मनपा, मोहर बंदा गुता को मूलभूत छत्तीसगढ़ी भाषा और गौड़ी भाषा के महत्व को उजागर किया है। 15 फरवरी को छत्तीसगढ़ी प्राचीन गहना धरोहर दिवस एवं विश्व प्राचीन गहना धरोहर दिवस के रूप में मनाने का संकल्प किया है। साथ ही यूनेस्को, भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ सरकार से भी छत्तीसगढ़ प्राचीन गहना धरोहर दिवस के रूप में मनाने की मांग की ताकि गहनों की प्राचीन संस्कृति विलुप्त ना हो और प्राचीन गहने संरक्षित रहे।
बुधवार को पत्रकारवार्ता में सुश्री शांता शर्मा ने बताया कि गहने का लोकार्पण गुलाटी (गुलाटी नर्सिंग होम, दुर्ग) संस्था संरक्षक रुपाली महतारी गुड़ी बहुउद्देशीय संस्था भिलाई एवं मीर अली मीर के कर कमलों से हुआ है। सुश्री शांता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से विलुप्त होती गहनों की संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए चिन्हारी आयोग के गठन की मांग की साथ ही छत्तीसगढ़ की मुलभुत लुगरा अंडी को राजकीय साड़ी कर दर्जा एवं छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहनों को राजकीय गहनों का दर्जा देने की मांग की। गहनों को सम्मान से भेंट देने की कड़ी में कवि श्री मीर अली और जी. डॉ मानसी गुलाटी, प्रभुदयाल उजाला प्रेस क्लब रायपुर में गहने भेंट किए। छत्तीसगढ़ के गहनों के प्रचार-प्रसार के लिए संस्कृतिक यात्रा पूर्ण छत्तीसगढ़ी अपनाव, नशा मुक्त छत्तीसगढ़ कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ की मूल विषय को लेकर 18 जून 2019 से छत्तीसगढ़ की यात्रा आरम्भ की । सुश्री शांता शर्मा का नाम 16 जनवरी 2023 को गोल्डन बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सम्मिलित हुआ है।