सिक्किम में रहने वाले नेपालियों के खिलाफ टिप्पणी पर घिरा सुप्रीम कोर्ट

एक केस की सुनवाई करते हुए सिक्किम में रहने वाले नेपाली लोगों को प्रवासी बताए जाने पर सुप्रीम कोर्ट घिर गया है। अदालत की टिप्पणी का सिक्किम समेत कई राज्यों में तीखा विरोध हो रहा है। इस टिप्पणी पर सिक्किम नेपाली समाज ने आपत्ति जताई है और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। यही नहीं राज्य के एक मंत्री ने भी इस टिप्पणी के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। अब केंद्र सरकार ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है और अदालत से अपनी टिप्पणी को वापस लेने की मांग की है। केंद्र सरकार ने अदालत में दायर अर्जी में आर्टिकल 371 एफ का जिक्र किया है, जिसमें सिक्किम के लोगों की पहचान की सुरक्षा करने की बात कही गई है। 

सिक्किम में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के विरोध में लगातार प्रदर्शन हो रहे थे, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया। सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की थी और राज्य के लोगों की भावनाओं से अवगत कराया था। रविवार को राज्य के भाजपा नेताओं ने अमित शाह से भी मुलाकात की थी। यह मसला सिक्किम की राजनीति में इतना गरमा गया है कि राज्य सरकार ने 9 फरवरी को विधानसभा का आपातकालीन सत्र भी बुलाया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर चर्चा की जाएगी। 

सिक्किम में नेपाली समाज बहुसंख्यक है। इसके अलावा लेप्चा और भूटिया समुदायों की भी अच्छी खासी आबादी है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का चौतरफा विरोध देखते हुए सरकार ने ऐलान कर दिया था कि वह पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपनी टिप्पणी वापस ली जा सकती है। सरकार ने भी आर्टिकल 371एफ का जिक्र कर साफ कर दिया है कि सिक्किम के लोगों की पहचान को किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया जा सकता। संविधान के इस प्रावधान की रक्षा की जाएगी।

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