हिजाब पहनने पर ही मिला मेडल, ईरान में विजेता भारतीय खिलाड़ी तान्या को ढंकना पड़ा सिर
भारत की तान्या हेमंत ने ईरान के फज्र इंटरनेशनल चैलेंज बैडमिंटन टूर्नामेंट में सिंगल्स का खिताब अपने नाम कर लिया। लेकिन उनके खिताब जीतने से ज्यादा चर्चाएं ईरान के रवैये की हो रही हैं। तान्या को जीत के बाद अपना गोल्ड मेडल लेने के लिए जाना था, लेकिन ईरानी अथॉरिटीज ने उन्हें सिर पर स्कार्फ पहनने को कहा। ईरानी अथॉरिटीज के कहने पर तान्या हेमंत ने स्कार्फ पहना और उसके बाद ही पोडियम पर मेडल लेने के लिए जा सकीं। तान्या को ऐसे वक्त में स्कार्फ पहनने को कहा गया, जब खुद ईरान में ही महिलाएं हिजाब के खिलाफ आंदोलन कर रही हैं और सड़कों पर हैं। कई महिलाओं को तो जेल में भी डाला गया है, लेकिन आंदोलन नहीं थम रहा।
दूसरे नंबर की खिलाड़ी 19 साल की तान्या ने प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी से ट्रेनिंग ली है। उन्होंने 30 मिनट चले मुकाबले में तासनिम मीर को हरा दिया। इसके बाद जब मेडल सेरेमनी की बारी आई तो आयोजकों ने तान्या से कहा कि वे सिर ढंकने के बाद ही मंच पर आ सकती हैं। टूर्नामेंट की गाइडलाइंस में स्कार्फ या हिजाब पहनने की कोई बात शामिल नहीं थी। लेकिन आयोजकों ने तान्या से कहा कि वे मंच पर जाने से पहले सिर पर स्कार्फ बांध लें। हालांकि मैच के दौरान ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी, लेकिन महिलाओं को मैचों को देखने के लिए पुरुष दर्शकों को अनुमति भी नहीं है।
महिलाओं के मैचों में नहीं थी पुरुषों की एंट्री, परिजन भी बाहर
महिलाओं के मैच स्थल के बाहर पोस्टर लगाए गए थे, जिनमें लिखा था कि पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। यहां तक कि महिला खिलाड़ियों के कोच और उनके पैरेंट्स को भी स्टेडियम में एंट्री नहीं हैं, जो पुरुष हैं। हालांकि दिलचस्प बात यह है कि इस टूर्नामेंट में पहली बार मिक्स्ड डबल्स का भी आयोजन हुआ। इसमें दुनिया की कुल 10 टीमों ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक यदि किसी महिला खिलाड़ी के साथ उसके पिता भी गए हैं तो उन्हें भी बेटी के मैच देखने की परमिशन नहीं दी गई। महिलाओं के मैच सुबह के वक्त कराए गए, जबकि पुरुषों के मैचों का आयोजन दोपहर में हुआ।