कांग्रेस के गले की फांस ना बन जाए दिग्विजय का बयान? पार्टी ने क्यों किया किनारा

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस ने खुद की और राहुल गांधी की छवि बदलने की पूरी कोशिश की है। ऐसे में उसे इस बात का भी डर है कि कहीं नेताओं की बयानबाजी उसके किए कराए पर पानी ना फेर दे। जम्मू-कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर ऐसा बयान दिया कि पार्टी को तुरंत किनारा करना पड़ा। वहीं भाजपा आक्रामक हो गई। भाजपा ने कहा है कि विपक्षी पार्टी प्रधानमंत्री मोदी की नफरत में अंधी हो गई है और भारतीय सेना का अपमान करने से भी नहीं कतराती है। 

दिग्विजय ने क्या कहा था
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पुलवामा आतंकवाद का केंद्र बन चुका है। वहां गाड़ियों की रेग्युलर चेकिंग होत है जब उलटी दिशा से स्कॉर्पियो आ रही थी तो उसकी जांच क्यों नहीं की गई। संसद में भी आजतक 40 जवानों के शहीद होने की घटना के बारे में जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा, सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते हैं, कि बहुत सारे लोग मार गिराए गए। लेकिन प्रमाण कुछ भी नहीं है। सिर्फ झूठ के पुलिंदे पर राज कर रहे हैं। उन्होंने बाद में ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करके पूछा कि आखिर पुलवामा हमले के लिए 300 किलो आरडीएक्स लाया कहां से गया था। 

कांग्रेस ने क्यों किया किनारा?
कांग्रेस पार्टी ने दिग्विजय सिंह के बयान से किनारा कर लिया है और कहा है कि यह उनका व्यक्तिगत विचार है। सीनयर नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, 2014 से पहले यूपीए सरकार ने भी सर्जिकल स्ट्राइक की थी। राष्ट्रहित में सभी सैन्य कार्रवाइयों का कांग्रेस ने समर्थन किया है और आगे भी करती रहेगी। बता दें कि 2016 में उरी में हुए आतंकी हमले में 18 जवान मारे गए थे। इसके बाद 28-29 सितंबर की रात भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी और आतंकवादियों समेत उनके ठिकाने तबाह कर दिए थे। इसके बाद पुलवामा हमले के बाद 2019 में भारतीय सेना ने मिराज-2000 विमान से पाकिस्तानी सीमा में आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया था। 

सिंह ने पहली बार  ऐसा नहीं किया है कि उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का प्रूफ मांगा हो। वह अकेले ऐसे कांग्रेस नेता भी नहीं हैं। 2016 में शुरू में ही कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि सेना की कार्रवाई का स्वागत है लेकिन भाजपा इस ऑपरेशन को मोदी सरकार की उपलब्धि बताकर भुनाने का प्रयास कर रही है। इसके बाद पार्टी ने कहना शुरू  कर दिया कि पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई है बल्कि उसकी सरकार में भी हो चुक है। सोनिया गांधी ने भी सेना को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए बधाई दी थी। 

कुछ दिन बाद दिग्विजय सिंह ने सरकार पर हमला बोला था और यूएन के निरीक्षकों को लेकर कहा था कि सरकार को सबूत  पेश करके लोगों की शंका को दूर करना चाहिए। इसके बाद राहुल गांधी ने भी सरकार पर अटैक किया था लेकिन अपने बयान को कवर करते हुए उन्होंने यह भी कह दिया था कि सेना के बयान पर विश्वास ना करने की कोई वजह नहीं है। उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी जवानों के बलिदान मे भी फायदा तलाश रहे हैं। 

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने भी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कहा था, सभी भारतीय चाहते हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक हो लेकिन इस तरह राजनीतिक लाभ के लिए फर्जी स्ट्राइक नहीं। उनके बयान के बाद भी कांग्रेस सकते में आ गई थी और तुरंत उनके बयान से किनारा करना पड़ा था। वहीं कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा था कि 2013 में कांग्रेस सरकार में भी सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। इसके अलावा आनंद शर्मा ने दावा किया था कि 2008.2009, 2011 और 2013 में भी इस तरह की कार्रवाई की जा चुकी है।

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