4 फ्रॉड चिटफंड कंपनियों की प्रॉपर्टी 35 करोड़ में नीलाम प्रशासन पीड़ितों में पैसे देने वाला था, तभी कंपनियां ले आईं स्टे
छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देश पर सभी जिलों के प्रशासन फ्रॉड चिटफंड कंपनियों की प्रॉपर्टी बेचकर पीड़ितों को उनके इन्वेस्टमेंट के हिसाब से रकम लौटा रहे हैं। लेकिन पैसे बांटने की सरकारी कोशिशों में नई रुकावट आ गई है। दरअसल प्रशासन ने एचबीएन डेयरी, सनशाइन इंफ्राबिल्ड, शुष्क इंडिया कंपनी और क्रीम इंफ्रा कंपनी की प्रॉपर्टी नीलाम करके करीब 35 करोड़ जुटाए थे।
संबंधित जिला प्रशासन ने निवेशकों में पैसे बांटने की प्रक्रिया शुरू ही की थी, तभी दिल्ली स्थित नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इन कंपनियों की याचिका पर पैसे पीड़ितों को बांटने पर रोक लगा दी। इन चार कंपनियों में क्रीम इंफ्रा के संचालकों को अदालत से भी स्टे मिल गया है। अफसरों के मुताबिक अब, जब तक स्टे वेकेट नहीं होता, पीड़ितों को पैसे नहीं बांटे जा सकेंगे।
छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में चिटफंड कंपनियां फ्राॅड करके भागी हैं और सरकार के निर्देश पर तकरीबन सभी जगह ऐसी कंपनियों की प्रॉपर्टी नीलाम करके पीड़ितों को रकम लौटाने की प्रक्रिया चल रही है। स्टे के बाद पैसे बांटने में अवरोध आ गया है, इसलिए इन जिलों के अफसर विधि विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं कि स्टे को किस तरह हटाया जा सके।
यही नहीं, स्टे के आधार भी पता लगाए जा रहे हैं। अदालत से जिस कंपनी को स्टे मिला है, उसके मामले की सुनवाई चल रही है। अफसरों ने कहा कि चूंकि स्टे प्रशासन का पक्ष सुने बिना ही दिया गया है, इसलिए अब शासन स्तर पर कंपनी ट्रिब्यूनल में अपील की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसकी वजह ये है कि अलग-अलग जिलों में सब मिलाकर दो दर्जन और फ्राॅड कंपनियों की संपत्ति नीलाम करने की प्रक्रिया चल रही है। शासन चाहता है कि इस प्रक्रिया से पहले कंपनी ट्रिब्यूनल वाले मामले का निराकरण हो जाए।
डबल पैसे का दिया था झांसा
फ्रॉड चिटफंड कंपनियों ने शहर और गांव के हजारों लोगों को पांच साल में दोगुनी रकम लौटाने का झांसा दिया था। चेन सिस्टम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने पर एजेंट को मोटा कमीशन का लालच भी दिया गया। इसलिए सभी झांसे में आए। लोगों ने खुद बड़ी रकम निवेश की, साथ ही दूसरों के पैसे लगवाए क्योंकि कमीशन मिलना था। ज्यादातर कंपनियां ठीक उस वक्त भागीं, जब निवेशकों को पैसे लौटाने का समय आ गया था।
केवल रायपुर में ही चिटफंड कंपनियों ने इस तरह का फ्राॅड किया, जिसमें 274 एफआईआर हुईं। रायपुर में 3 लाख 19 हजार से ज्यादा निवेशक रकम लौटाने का आवेदन दे चुके हैं। पीड़ितों काे 10 अरब 32 करोड़ रुपए से ज्यादा लौटाने हैं। जिला प्रशासन अलग-अलग कंपनियों की प्रॉपर्टी नीलाम कर 8266 पीड़ितों को 4 करोड़ 14 लाख रुपए लौटा चुका है, जबकि अब तक केवल एक कंपनी की प्रॉपर्टी बांटी गई है।
जानें… किस कंपनी की प्रॉपर्टी कितने की
1 एचबीएन डेयरी कंपनी की 10 करोड़ 30 लाख रुपये की संपत्ति की नीलामी दो माह पहले हुई थी। इसके निवेशक धमतरी जिले के हैं, जबकि कंपनी की प्रॉपर्टी रायपुर में है। रायपुर प्रशासन रकम धमतरी प्रशासन को भेजने की तैयारी में था, तभी स्टे आ गया।
2 सनशाइन इन्फ्राविल्ड कंपनी में दुर्ग जिले के निवेशकों ने ज्यादा पैसे लगाए थे। जिला प्रशासन इस कंपनी की संपत्ति नीलाम कर चुका है। पीड़ितों में पैसे बांटे ही जाने वाले थे, तभी कंपनी के संचालकों स्टे ले लिया। इसलिए प्रशासन ने पैसे बांटने का काम रोका।
3 रायपुर जिला प्रशासन ने शुष्क इंडिया कंपनी की 2 करोड़ 10 लाख रुपये की संपत्ति 23 नवंबर 2022 को नीलाम की। जिन लोगों ने पैसे लगाए थे, उन्हें पैसे किस तरह बांटे जाएं, इसकी सूची तैयार की जा रही थी। लेकिन स्टे आते ही पूरी प्रक्रिया रुक गई।
4 क्रीम इंफ्रा एंव डेवलपर्स कंपनी की प्रॉपर्टी रायपुर के सरोरा, तेलीबांधा और अभनपुर आदि जगहों पर थी। जिला प्रशासन ने तकरीबन सभी प्रॉपर्टी नीलाम कर दी है और इससे आई रकम बांटने की तैयारी भी अंतिम दौर में है। इस वक्त अदालत का स्टे आया।