घबराना नहीं है! 98% भारतीयों में हैं कोरोना को झेलने की ताकत, IIT कानपुर का दावा

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चीन में जैसे ही कोरोना का विस्तार होना शुरू हुआ कि भारत में लोगों के मन में लॉकडाउन की आशंकाएं होने लगी हैं। कई राज्यों ने अपने नागरिकों को मास्क पहनने की सलाह दी है साथ ही सामाजिक समारोहों से बचने के लिए कहा है। इस सबके बीच आईआईटी कानपुर ने अपनी एक स्टडी में कहा है कि भारत की करीब 98 प्रतिशत आबादी ने कोविड-19 के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है। 

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने कहा, ‘यह संभव है कि कुछ लोगों की कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण कोरोना की एक नई और छोटी लहर देखने को मिल सकती है। इसके अलावा कोई बात नहीं होगी।’

कोरोना पर आधारित अपने मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि भारत की तुलना चीन में अक्टूबर तक सिर्फ पांच प्रतिशत आबादी में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता मौजूद थी।

उन्होंने आगे कहा, ‘नवंबर में चीन में 20 प्रतिशत आबादी में प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता थी। नवंबर से ही यहां कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा होना शुरू हुआ। चीन की सरकार 500 में से सिर्फ एक मामले के बारे में रिपोर्ट कर रही है। इस कारण से चीन में कोरोना मामलों की संख्या कम है।’

उन्होंने यह भी कहा, “दुनिया के जिन देशों ने प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल कर ली है वे किसी भी खतरे में नहीं हैं। ब्राजील में ओमिक्रॉन के एक नए और अधिक घातक म्यूटेंट के कारण मामले बढ़ रहे हैं। दक्षिण कोरिया में 25 प्रतिशत, जापान में 40 प्रतिशत और संयुक्त राज्य अमेरिका में 20 प्रतिशत आबादी प्राकृतिक प्रतिरक्षा हासिल करने में सक्षम नहीं है।”

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