सफाई व्यवस्था की लचर व्यवस्था देख महापौर ने कहा था
शहर में सफाई व्यवस्था की लचर व्यवस्था को देखते हुए महापौर एजाज ने बुधवार को स्वास्थ्य अधिकारी एके हालदार के साथ स्वास्थ्य विभाग की बैठक ली और कहा कि किसी वार्ड में सफाई कर्मचारी कम मिले तो संबंधित जोन के स्वास्थ्य अधिकारी की खैर नहीं और अगले ही दिन जोन-5 के पांच वार्डों में आधे कर्मचारी गायब मिले।
निगम ने सफाई ठेकेदारों पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया, लेकिन जेडएचओ पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। अब महापौर खुद वार्डों में औचक निरीक्षण करेंगे।
वार्डों में सफाई कर्मचारियों की कम उपस्थिति का खेल नगर निगम में वर्षों से चल रहा है। जब-जब निगम मुख्यालय की टीम ने वार्डों का औचक निरीक्षण किया या फिर मुख्यालय के सख्त जोन के अफसरों ने कार्रवाई की तो मौके पर सफाई कर्मचारियों की संख्या कम मिली। हर बार सफाई ठेकेदारों पर जुर्माना लगा लिया जाता है।
कभी-कभी ज्यादा बड़ी कार्रवाई के नाम पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाता है, लेकिन व्यवस्था कभी नहीं सुधरती। वार्डों में सफाई व्यवस्था की मानिटरिंग की पूरी जिम्मेदारी जोन स्वास्थ्य अधिकारियों पर होती है। वार्डोें में कर्मचारियों की उपस्थिति और काम पर लगाने की जिम्मेदारी उनकी होती है।
उनके सख्त निगरानी के बाद वार्डों में आधे-आधे कर्मचारियों की उपस्थित व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। जोन-5 राजेश गुप्ता ने स्वास्थ्य अधिकारी भूषण ठाकुर को वार्ड जांच के निर्देश दिए। जेडएचओ ने जांच कर अपने ही जोन के वार्डों में खामियां पकड़ीं।
ठाकुर प्यारे लाल, पं. दीनदयाल उपाध्याय, पं. सुंदर लाल शर्मा, महंत लक्ष्मीनारायण, पं. वामन राव लाखे वार्ड की जांच की। यहां तय से कम कर्मचारी मिलने पर संबंधित वार्ड के ठेकेदारों पर 40 हजार का जुर्माना लगाया गया। ठेकेदारों को दो दिन में जवाब देने के लिए नोटिस भी दिया गया है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर ठेका निरस्त करने की चेतावनी दी गई है।
एक-एक वार्ड में 45-50 कर्मचारी
नगर निगम में 3400 से ज्यादा सफाई कर्मचारी हैं। हर वार्ड में औसतन 45 से 50 सफाई कर्मचारी दिए गए हैं। हर वार्ड में सफाई कर्मी इसलिए ज्यादा दिए गए हैं ताकि नालियों व सड़कों की नियमित सफाई, कचरे का उठाव इत्यादि हो सके और शहर स्वच्छ दिखे।
जांच में कर्मचारियों की कम संख्या मिलने के बावजूद यह देखा गया है कि ठेकेदार पूरा भुगतान लेने में सफल हो जाते हैं। यानी अनुपस्थित कर्मचारियों की भी तनख्वाह निगम से निकल जाती है। निगम से जुड़े लोगों का कहना है कि इसलिए निगम में सफाई ठेका हथियाने के लिए ठेकेदारों में होड़ मची रहती है।