छत्तीसगढ: यहां लग्जरी कारों को छोड़ बैलगाड़ी में निकली दो दूल्हों की बारात

बालोद. दादा-नाना की जुबानी में सुना करते थे कि उनकी बारात बैलगाड़ी से गई थी। ससुराल पहुंचने में कई दिन का सफर तय करना पड़ता था। वर्तमान में अगर आपसे कोई यह कहे कि किसी की बारात बैलगाड़ी में जाएगी तो आप विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन कई साल पुरानी परंपरा को फिर से जीवंत बनाने के उद्देश्य से बालोद जिले में हुई दो शादी अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन गई। यहां दो युवकों की बारात सजी-धजी बैलगाडिय़ों में निकली। जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा। छत्तीसगढ़ी परंपरा और संस्कृति को जीवित करने के उद्देश्य से युवाओं ने यह पहल की थी।

गांव का कराया गया भ्रमण


मालीघोरी में देशमुख परिवार ने दूल्हे राजा को बैलगाड़ी से गांव का भ्रमण कराया फिर दुल्हन के घर ले गए। वहीं जिले के ही ग्राम अर्जुनी में साहू परिवार का दूल्हा अपनी दुल्हन लाने बैलगाड़ी से बारात लेकर गया।
ग्राम मालीघोरी निवासी गौकरण देशमुख ने बारात लेकर आए दूल्हे राकेश को आकर्षक रूप से सजी बैलगाड़ी में बैठाकर घर तक लाया। उनका सभी ने स्वागत किया। इसी तरह ग्राम अर्जुनी में मरौदा से आए दूल्हा अविनाश अपनी दुल्हन को ले जाने बैलगाड़ी से पहुंचा

कुछ नया करने की चाह, पुरानी संस्कृति को दिलाई याद


कई वर्षों बाद ऐसी परंपरा को देख इस प्रकार की बारात लोगों के लिए कौतुहल का विषय बनी रही। बारात जिस मोहल्ले से निकली लोग आश्चर्य से देखते रहे। युवाओं ने कुछ नया करने की चाह में पुरानी संस्कृति की याद दिलाई दी। अनोखी बारात की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है।

दूल्हे ने कहा- लोग अपनी संस्कृति और परंपरा न भूलें


दूल्हा अविनाश और राकेश ने कहा कि विलुप्त हो रही परंपरा को फिर से जीवित करने के दिशा में बाराती बैलगाड़ी के माध्यम से ले जाकर पुरानी परम्परा को लोगों के बीच रखा। आजकल नए जमाने में लोगों का फैशन कुछ अलग है। लोग अपनी संस्कृति व परंपरा को न भूले इसलिए हमने कुछ नया सोचा।

दूल्हे और बैलगाड़ी के साथ लोगों ने ली सेल्फी


दूल्हे राजा आकर्षक ढंग से सजी, टोली बनाकर ब्याह रचाने बैलगाड़ी में बैठकर शाम 5 बजे निकले। बैलगाड़ी पर निकली बारात को देखने लोगों की भीड़ रही। लोगों ने मोबाइल पर दूल्हे और बैलगाड़ी की सेल्फी भी ली

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