दिवाली बाद धान खरीदी का ट्रायल रन
छत्तीसगढ़ में अगले सप्ताह से समर्थन मूल्य पर धान की सरकारी खरीदी शुरू हो रही है। इसकी तैयारियां जारी है। दिवाली के ठीक बाद 26 अक्टूबर से खरीदी का ट्रायल शुरू हो रहा है। 28 अक्टूबर तक ट्रायल के खत्म होगा। इस दौरान सामने आई किसी कमी को वास्तविक खरीदी से पहले दूर किया जाना है। धान खरीदी के लिए पांच लाख 50 हजार गठान बारदानों की जरूरत है। अब तक एक लाख 43 हजार बारदाना ही राज्य सरकार को मिल पाया है।
खरीफ वर्ष 2022-23 में किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी प्रस्तावित है। इतना धान रखने के लिए 5 लाख 50 हजार गठान बारदाने की आवश्यकता होगी। धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार की नई बारदाना नीति अनुसार 50:50 के अनुपात में नये एवं पुराने बारदाने में धान की खरीदी की जानी है। धान उपार्जन के लिए आवश्यक 2 लाख 97 हजार गठान में से 2 लाख 37 हजार गठान बारदाने जूट कमिश्नर से खरीदने की अनुमति केंद्र सरकार ने दी है। अभी तक 2 लाख 37 हजार गठान का इंडेट जारी किया गया है। उसके आधार पर 1 लाख 45 हजार गठान राज्य को प्राप्त हो चुके हैं। 48 हजार गठान नये जूट बारदाने पिछले वर्ष की खरीदी के बचे हुए हैं। कमी होने वाले बारदानों की प्रतिपूर्ति जैम पोर्टल के माध्यम से खरीदी की कार्यवाही चल रही है। इस मान से सरकार को 2 लाख 53 हजार गठान पुराने बारदानों की जरूरत होगी। यह बारदाना राइस मिलर्स और समिति के पास उपलब्ध हैं। राज्य सरकार ने 21 अक्टूबर को ही कस्टम मीलिंग नीति जारी कर दी है। इसके अनुसार जिलों में धान खरीदी और उसके निराकरण का काम कलेक्टरों को करना है। छत्तीसगढ़ में इस साल धान खरीदी एक नवम्बर से शुरू होकर 31 जनवरी तक चलनी है।
अब तक 95 हजार नये किसानों ने पंजीयन कराया
धान बेचने वाले किसानों का पंजीयन 31 अक्टूबर तक होना है। अभी तक 24 लाख 5 हजार 288 किसानों का पंजीयन कैरी फारवर्ड किया गया है। यानी पिछले वर्ष पंजीकृत किसानों का पंजीयन आगे बढ़ा दिया गया है। वहीं 95 हजार नये किसान पंजीकृत हुए हैं। संभावना जताई जा रही है कि नया पंजीयन एक लाख की संख्या पार हो जाएगा।
अवैध धान की आवक रोकने की भी तैयारी
अधिकारियों ने बताया, खरीदी केंद्रों पर अवैध धान की आवक रोकने के लिए भी तैयारी की गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में भी दूसरे प्रदेशों से धान की आवक रोकने की व्यवस्था करने का निर्देश किया था। बताया जा रहा है, इसके लिए राज्य स्तर के अधिकारियों की टीम को जिले का प्रभारी बनाया गया है। जिले स्तर पर राजस्व, खाद्य, सहकारिता, मंडी, विपणन, वन आदि विभाग के अधिकारियों की टीम का गठन किया गया है।