आर्थिक अनियमितता व गड़बड़ियों के चलते मुकेश गुप्ता प्रमोशन निरस्त को कर दिया गया

बिलासपुर। आईपीएस मुकेश गुप्ता के प्रमोशन निरस्त करने के मामलें में हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद प्रमोशन निरस्त करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया गया है। कैट फिर सिंगल बैंच के द्वारा मुकेश गुप्ता के पक्ष में आदेश जारी किया गया था। जिसके खिलाफ शासन ने डबल बैंच में अपील की थी।6 अक्टूबर 2018 को आचार सहिंता लगने के कुछ ही घण्टे पहले पूर्ववर्ती सरकार ने आदेश जारी कर आईपीएस मुकेश गुप्ता समेत अन्य दो आईपीएस को एडीजी से डीजी के पद पर प्रमोशन दे दिया था। फिर आर्थिक अनियमितता व गड़बड़ियों के चलते मुकेश गुप्ता को निलंबित कर उनका प्रमोशन निरस्त कर दिया गया था। जिसके खिलाफ मुकेश गुप्ता ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण( कैट) में अपील की थी।

जहां मुकेश गुप्ता के पक्ष में फैसला आया था और उनके प्रमोशन निरस्त करने के सरकार के आदेश को गलत माना गया था।राज्य शासन कैट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चले गई थी। जहां सिंगल बैंच में हुई सुनवाई में कैट के फैसले को सही ठहराया गया था। राज्य सरकार ने सिंगल बैंच के फैसले के खिलाफ डबल बैंच में अपील कर दी थी। जिसकी चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी व जस्टिस दीपक तिवारी की डिवीजन बैंच में हुई सुनवाई में फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। आज हुई सुनवाई में आदेश सार्वजिनक किया गया। शासन की ओर से उप महाधिवक्ता जितेंद्र पाली उपस्थित थे।

जिन्होंने अदालत को बताया था कि डीजी पद पर प्रमोशन से पहले केंद्र सरकार की अनुमति लेनी होती है जो कि नही ली गयी थी। लिहाजा नियमतः गुप्ता का प्रमोशन नियम विरुद्ध है। जिसके बाद डिवीजन बेंच ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए मुकेश गुप्ता को रिवर्ट करने के फैसले को सही माना और कैट और सिंगल बेंच द्वारा गुप्ता के पक्ष में दिए गए फैसले को निरस्त कर दिया। इसकी पुष्टि महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने भी एनपीजी से चर्चा के दौरान की है।आईपीएस मुकेश गुप्ता को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने दिनांक 6 अक्टूबर 2018 को आचार संहिता लगने के कुछ ही घंटो पहले प्रमोशन देते हुए एडीजी से डीजी के पद पर प्रमोशन किया था। उनके साथ उन्ही के बैच के दो अन्य अफसरों को भी प्रमोशन दिया गया था। चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार राज्य में बनने के 8 फरवरी 2019 को अवैध फोन टैपिंग को लेकर आईपीएस मुकेश गुप्ता व एसपी नारायणपुर रजनेश सिंह के खिलाफ acb-eow में एफआईआर दर्ज की गई। मामला 2015 का है। तब मुकेश गुप्ता acb-eow के चीफ हुआ करते थे और रजनेश सिंह एसपी थे। तब नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में घोटाले के नाम से कई नान अफसरों पर छापे पड़े थे। मामले में कई लोगों के गैर कानूनी ढंग से फोन टैपिंग किए गए थे। फोन टैपिंग मामलें में राज्य बनने के बाद यह पहला एफआईआर था। एफआईआर के दूसरे दिन 9 फरवरी 2019 को मुकेश गुप्ता व रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया गया था।

मुकेश गुप्ता पर दूसरी एफआईआर एमजीएम ट्रस्ट में हुई आर्थिक अनियमितता के चलते हुई थी। एमजीएम ट्रस्ट ने गरीबों का निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने, शासकीय कर्मचारियों को विशिष्ट चिकित्सा सुविधा का लाभ देने, मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देने के नाम पर साल 2006 में दो करोड़ और 2007 में एक करोड़ रुपये का अनुदान राज्य सरकार से प्राप्त किया था। बाद में इस राशि का दुरुपयोग करते हुए ट्रस्ट के बैंक कर्ज अदा करने में इस्तेमाल के आरोप में एमजीएम के मुख्य ट्रस्टी मुकेश गुप्ता के पिता जयदेव गुप्ता, डायरेक्टर, डॉक्टर दीपशिखा अग्रवाल के विरुद्ध भादवि की धारा 420, 406,120 (बी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत acb-eow में एफआईआर दर्ज की गई थी।तीसरी एफआईआर दुर्ग जिले के सुपेला थाने में जमीन घोटाले की हुई थी। मुकेश गुप्ता को 9 फरवरी 2019 को निलंबित कर दिया गया था जिनकी बहाली 17 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने की थी।

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