छत्तीसगढ़ में सीएसआर के तहत कंपनियों अपने हिसाब से कर रही खर्च

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछले वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में कंपनियां अपने कंपनी सामाजिक दायित्व (सीएसआर) का निर्वहन कर रही हैं। कंपनी कानून के तहत कंपनी सीएसआर पर खर्च कर रही हैं। ये राशि‍ जिला प्रशासन की निगरानी में न होकर कंपनियां अपने हिसाब से कर रही हैं। कानून में भी इस तरह का कोई प्रविधान नहीं है कि उनकी राशि‍ को किसी विशेष मद में खर्च कराया जा सके। मगर इसके असमान वितरण को रोकने के लिए कोई प्रभावी दायित्व राज्यों के पास नहीं है।

नतीजा यह हो रहा है कि कुछ जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिलीभगत कर कुछ कंपनियां अपने हिसाब से ही राशि‍ ख्ार्च का ब्यौरा दिखा रही हैं। हालांकि सरकारी योजनाओं में संसाधनों की कमी का वित्तपोषण करने के स्रोत के तौर पर परिभाषित नहीं किए जाने के प्रविधान है। फिर भी सीएसआर के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर आमतौर पर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब में अफसरों के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है।

गौरतलब है कि कोरोनाकाल से पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने निर्देश दिया था कि कंपनियां सीएसआर की राशि आर्थिक रूप से कमजोर प्रदेशों में खर्च करें। इनमें छत्तीसगढ़ समेत झारखंड, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों के विकास कार्यों में खर्च करने का आग्रह किया था।

देश के महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में सीएसआर के तहत पर्याप्त धन खर्च होता है। केंद्र ने कहा था कि आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों में भी खर्च किया जाना चाहिए, जिससे इन राज्यों के विकास में मदद मिल सके। इसका असर भी अब प्रदेश में दिख रहा है। पिछले वर्षों में यहां कंपनियां अधिक संख्या में सीएसआर पर खर्च कर रही हैं।

ग्रामीण विकास में कम हो रहा खर्च

वर्ष 2021 के ही आंकड़ों को देख्ों तो यहां 305.73 करोड़ रुपये स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और पेयजल पर सबसे अधिक 189.68 करोड़ रुपये, शिक्षा पर 65.62 करोड़, पर्यावरण और पशु कल्याण पर 21.28 करोड़, ग्रामीण विकास पर 15.44 करोड़, खेल प्रोत्साहन पर 6.82 करोड़, लिंग समानता और महिला सशक्तीकरण पर 5.21 करोड़, हेरिटेज और कला पर 1.5 बाकी अन्य पर खर्च किया है। कमोबेश यही स्थ्ािति पिछले वर्षों में भी रही है।

खर्च पर नहीं हो पा रही निगरानी

जिला उद्योग व्यापार केंद्राें के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में करोड़ों-अरबों रुपये का कारोबार जमाए बैठीं कंपनियां शहर और ग्रामीण विकास के लिए उन जगहों पर खर्च नहीं कर पा रही हैं, जहां ज्यादा जरूरत है। इस पर सरकारी मशीनरी भी निगरानी नहीं रख पा रही है। प्रदेश के उद्योग विभाग का कहना है कि इन कंपनियों का दायित्व है कि वह अपना सीएसआर जरूरतमंदों पर खर्च करें। जहां अधिक जरूरत है, वहां इसका खर्च किया भी जा रहा है।

प्रदेश में उद्योगों और कंपनियों की संख्या एक हजार से अधिक है। इनमें बड़े उद्योग व कंपनियों की संख्या 250 के आसपास है। राज्य में विगत तीन वर्षों में एक हजार 715 नए उद्योग स्थापित हुए, जिनमें 19 हजार 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ और 33 हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा 149 एमओयू भी किए गए हैं। इनमें 74 हजार करोड़ रुपये के निवेश की उम्मीद है और 90 हजार लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।

क्या है सीएसआर

समाज से कमाई गई संपत्ति का हिस्सा समाज को वापस लौटा देना ही सीएसआर है। कंपनी एक्ट 2013 के तहत कुछ बड़ी कंपनियों को अपने तीन साल के औसत मुनाफे का कम से कम दो प्रतिशत सीएसआर के तहत खर्च करना होता है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान कंपनियों ने सीएसआर पर खर्च को गंभीरता से लेना शुरू किया है।

कंपनियां अपने लाभ की राशि‍ का कुछ प्रतिशत लोगों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, नैतिक और स्वास्थ्य आदि में सुधार के लिए खर्च करती हैं, जिससे उस क्षेत्र की आधारभूत संरचना, पर्यावरण और सांस्कृतिक विषयों को बढ़ाने में मदद मिल सके। इस तरह की गतिविधियों के जरिए वहां के सामाजिक विषयों के विकास में योगदान करना इन कंपनियों की सामाजिक जिम्मेदारी है।

प्रदेश के टाप जिले वित्तीय सत्र 2020-21 में खर्च राशि

जिला करोड़ में खर्च

रायपुर 89.55

कोरबा 17.98

बिलासपुर 12.9

दंतेवाड़ा 12.13

सरगुजा 10.16

रायगढ़ 5.95

दुर्ग 5.83

बस्तर 4.98

नारायणपुर 3.24

सूरजपुर 3.12

छत्तीसगढ़ में इस तरह कंपनियां कर रहीं सीएसआर में खर्च

वर्ष कंपनियों की संख्या कुल जिले खर्च राशि करोड़ में

2020-21 190 20 305.73

2019-20 199 18 268.18

2018-19 149 13 149.35

2017-18 134 14 176.7

2016-17 106 10 84.66

वर्ष 2020-21 में राज्यवार कंपनियों ने किया खर्च (राशि‍ करोड़ में)

छत्तीसगढ़ 305.73

मध्य प्रदेश 344.13

ओडिशा 547.57

उत्तर प्रदेश 826.67

महाराष्ट्र 3306.72

आंध्र प्रदेश 662.39

तेलंगाना 579.75

यह कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे अपने सीएसआर की राशि‍ को लोगों के लिए खर्च करें। यदि कोई मुद्दा रहता है तो हम उसे देखते हैं। ऐसे सीधे हमारी दखल नहीं है।

– हिमशि‍खर गुप्ता, विशेष सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, छत्तीसगढ़

जो भी कंपनियां सीएसआर के दायरे में आती हैं, वे यह राशि‍ खर्च कर रही हैं। हालांकि प्रदेश में ऐसी कंपनियों की संख्या कम है।

– अनिल नचरानी, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन

एक्सपर्ट व्यू

कंपनियां अपने लाभ का कुछ प्रतिशत समुदाय के विकास के लिए खर्च करें। इस पर निगरानी तो होनी ही चाहिए। कंपनी एक्ट की धारा 135 की उप धारा पांच के तहत सीएसआर के लिए तय दो प्रतिशत की पूरी राशि को खर्च करना अनिवार्य कर दिया गया है, जो पहले कंपनियों की स्वेच्छा पर आधारित था।

लेकिन कंपनी एक्ट में किए गए संशोधन के तहत यदि कोई कंपनी सीएसआर की राशि खर्च नहीं कर पाई तो उसे सीएसआर की पूरी राशि सरकारी खाते में यानी नेशनल अनस्पेंड सीएसआर फंड में हस्तांतरित करना होता है। कंपनियों की ओर से खर्च की जा रही राशि‍ का वितरण असमान न हो। इस पर मानिटरिंग की व्यवस्थ्ाा होनी चाहिए। अभी कुछ अफसरों तक ही यह सबकुछ सीमित रह गया है।

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