संसदीय सचिव चंद्राकर ने संजय कानन ‘कृष्ण कुंज’ में कदंब का लगाया पौधा, साथियों संग दही हांडी तोड़ी

जनप्रतिनिधियों ने भी लगाए पारंपरिक और जीवनोपयोगी पौधे

महासमुंद .

जनप्रतिनिधियों ने भी लगाए पारंपरिक और जीवनोपयोगी पौधे संसदीय सचिव व विधायक  श्री विनोद चंद्राकर ने आज कृष्ण जन्माष्टमी के मौक़े पर महासमुंद के संजय कानन में कृष्ण कुंज का शुभारंभ किया। उन्होंने इस अवसर पर कृष्ण कुंज में कदंब का पौधा लगाया। उन्होंने दही हांडी तोड़ी। साथियों ने मानव पिरामिड बनाया।

उन्होंने इस अवसर पर कृष्ण कुंज में कदंब का पौधा लगाया। उन्होंने दही हांडी तोड़ीइस अवसर पर कलेक्टर श्री निलेश कुमार क्षीरसागर, पुलिस अधीक्षक श्री भोजराज पटेल, मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज़िला पंचायत श्री एस.आलोक, वनमंडलाधिकारी श्री पंकज राजपूत, सरपंच श्रीमती नीलम रेवाराम, पार्षद सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और सफ़ाई कर्मी उपस्थित थे।  जनप्रतिनिधियों ने भी यहां कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, नीम, कदम्ब, आम, आदि पारंपरिक और जीवनोपयोगी पौधे लगाए।
संसदीय सचिव श्री विनोद चंद्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पारंपरिक वृक्षों के संरक्षण के लिए यह अभिनव पहल की है। उन्होंने कहा कि हम अपने व्यस्थ जीवन में पारंपरिक और जीवनोपयोगी पेड़-पौधों से दूर होते जा रहे है। शहरी क्षेत्रों में पेड़ पौधों की कमी का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य देखा जा रहा है।  हमारे जीवन में पारंपरिक वृक्ष पर्यावरण के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं तथा इन पेड़ पौधों को विलुप्त होने से बचाना आवश्यक है। इस पहल से इन वृक्षों को संरक्षित किया जा सकेगा और आने वाली पीढ़ी भी इनके महत्व को समझ सकेगी। उन्होंने नागरिकों से अपेक्षा की वह भी अपने घरों के आसपास खाली ज़मीन पर पारंपरिक और जीवनोपयोगी पौधे लगाए लगाए।
महासमुंद के संजय कानन में बनाये गए कृष्ण कुंज के 2.00  हेक्टेयर में 1250 पौधे लगाए जा रहे है। इनमें बरगद, पीपल, कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के पौधे लगाए गए। इसके अलावा जीवनोपयोगी आम, इमली, बेर, गंगा इमली, जामुन, शहतूत, तेंदू ,चिरौंजी के पौधे लगाए जा रहे है। ज़िले  के पाँच नगरीय क्षेत्रों महासमुंद सहित तुमगाँव, पिथौरा, बसना और सरायपाली के 5.160 हेक्टेयर कृष्ण कुंज में लगभग 4000 पौधारोपण किया जा रहा पौधा रोपण। वृक्षारोपण को जन-जन से जोड़ने,  सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए ‘कृष्ण-कुंज’ नाम दिया गया

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