सियादेवी मंदिर बालोद छत्तीसगढ़ |
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में ग्राम सांकरा से 25 कि मी दूर नारागांव पहाड़ी पर स्थित सियादेवी मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है यह एक धार्मिक पर्यटक स्थल है। सियादेवी मंदिर शक्ति और सुंदरता का अनोखा संगम है। जंगलो पहाड़ो झरनो से घिरा हुआ यह जगह बहुत सुन्दर है। बरसात के दिनों में सियादेवी मंदिर की सुंदरता और बढ़ जाती है। यहाँ से बहने वाली झोलबाहरा और तुमनाला का संगम हैं यही जलधारा एक प्राक्रतिक झरने के रूप में गिरती हैं। इस झरने कि उचाई 50 फीट हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक इस झरने का पूरा लुफ्त उठाते है।
लोगों की मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन समय में यह स्थान दंडकारण्य क्षेत्र में आता था। यह माना जाता है कि भगवान राम और लक्ष्मण अपने वनवास काल में देवी सीता को ढूंढने के लिए यहां आये थे जिन्हें रावण ने अपहरण कर लिया था। यहाँ सीता माता के चरण के निशान भी चिन्हित हैं। एक और विश्वास है कि देवी का वाहन बाघ रात में माता की रक्षा करने के लिए रात में आता था। यह स्थान महर्षि वाल्मीकि की ध्यान भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है।
जलप्रपात सियादेवी |
सियादेवी मंदिर में राम सीता ,लक्षमन, शिव पार्वती ,राधा कृष्णा ,भगवान बुद्ध बूढ़ादेव की प्रतिमाएं है। यह स्थल पूर्णत: रामायण की कथा से जुडा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान रामसीता माता और लक्षमण वनवास काल में इस जगह पर आये थे। यहाँ सीता माता के चरण के निशान भी चिन्हित किये गए हैं। बारिश में यह जगह खूबसूरत झरने की वजह से अत्यंत मनोरम हो जाती है। झरने को वाल्मीकि झरने के नाम से जाना जाता है। परिवार के साथ जाने के लिए यह बहुत बेहतरीन पिकनिक स्पाट है। सियादेवी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई से फरवरी तक है। इस समय जाने से झरने में पानी अधिक रहेगा।